व्यापार : राज्य सरकार की प्रतिभूतियों (एसजीएस) की ताजा निलामी में देश के 11 भारतीय राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेशों ने कुल 26,900 करोड़ रुपये जुटाए। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार सभी राज्यों ने नीलामी के लिए अधिसूचित पूरी राशि स्वीकार कर ली।
किस राज्य ने कितनी राशि जुटाई?
- महाराष्ट्र सबसे आगे रहा, इसने चार प्रतिभूतियों के जरिए 6,000 करोड़ रुपये जुटाए। राज्य ने 22 साल की अवधि पर 7.12 प्रतिशत, 23 साल की अवधि पर 7.13 प्रतिशत, 24 साल की अवधि पर 7.15 प्रतिशत और 25 साल की अवधि पर 7.16 प्रतिशत का यील्ड ऑफर किया।
- इसके बाद आंध्र प्रदेश ने 1,500 करोड़ रुपये और 2,100 करोड़ रुपये की दो प्रतिभूतियों के जरिए 3,600 करोड़ रुपये जुटाए। राज्य ने 8 साल की अवधि पर 6.87 प्रतिशत और 9 वर्ष की अवधि पर 6.88 प्रतिशत का का यील्ड ऑफर किया।
- उत्तर प्रदेश ने एक प्रतिभूति के जरिए 8 वर्ष की अवधि के लिए 6.86 प्रतिशत की दर से 3,000 करोड़ रुपये जुटाए।
- पंजाब ने 2,500 करोड़ रुपये जुटाए। राज्य ने 24 साल की अवधि के लिए अपनी सिक्योरिटी पर 7.19 प्रतिशत का सबसे ज्यादा रिटर्न भी दिया।
- तेलंगाना ने तीन प्रतिभूतियों के जरिए 2,500 करोड़ रुपये जुटाए। इनमें से दो 1,000-1,000 करोड़ रुपये की थीं। पहली प्रतिभूति 32 साल के लिए 7.10 प्रतिशत की दर से और दूसरी 35 साल की अवधि के लिए 7.09 प्रतिशत की दर से। तीसरी प्रतिभूति 500 करोड़ रुपये की थी, जो राज्य ने 38 साल के लिए 7.09 प्रतिशत की दर से जुटाई।
- पश्चिम बंगाल, गुजरात और बिहार ने 2,000-2,000 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां जुटाई। पश्चिम बंगाल ने 12 वर्षों की अवधि के लिए 7.07 प्रतिशत की प्रतिफल दर पर, गुजरात ने नौ वर्षों की अवधि के लिए 6.80 प्रतिशत की प्रतिफल दर पर और बिहार ने 10 वर्षों की अवधि के लिए 6.90 प्रतिशत की प्रतिफल दर पर प्रतिभूतियां जुटाई।
- अन्य प्रतिभागियों में ओडिशा भी शामिल था, जिसने 1,000 करोड़ रुपये और 500 करोड़ रुपये की दो प्रतिभूतियों के जरिए 1,500 करोड़ रुपये जुटाए। पहली बार 12 साल की अवधि के लिए 6.98 प्रतिशत और दूसरी बार तीन साल की अवधि के लिए 6.13 प्रतिशत की दर से।
- तमिलनाडु ने 10 वर्ष की अवधि के लिए 6.82 प्रतिशत प्रतिफल वाली प्रतिभूति के माध्यम से 1,000 करोड़ रुपये जुटाए।
- गोवा ने 10 प्रतिशत अवधि के लिए 6.89 प्रतिशत प्रतिफल पर 100 करोड़ रुपये जुटाए।
- जम्मू और कश्मीर ने 7.18% की दर पर 20 वर्षीय प्रतिभूति के माध्यम से 700 करोड़ रुपये जुटाए।
पूंजीगत खर्च और राजकोषीय जरूरतों को पूरा करने में मिली मदद
यह यील्ड-आधारित नीलामी आरबीआई के नियमित कर्ज कार्यक्रम के तहत आयोजित की गई। इससे राज्यों को पूंजीगत खर्च और राजकोषीय जरूरतों को पूरा करने में मदद मिली।आंकड़ों से पता चला कि विभिन्न अवधियों में निवेशकों की मांग मजबूत रही और सभी राज्यों ने बिना किसी अंडर-सब्सक्रिप्शन के अपने इच्छित राशि को जुटाने में सफल रहे। राज्यों के लिए यह नीलामियां बुनियादी ढांचा और विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण का एक प्रमुख तरिका है। जिससे वे केंद्रीय बैंक की व्यापक आर्थिक ढांचे के तहत राजकोषीय अनुशासन बनाए रखते हैं।