भोपाल: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के राजनीति में 75 की उम्र में किनारे हो जाने के इशारे की पूरे देश में चर्चा है. मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमारिया की संघ प्रमुख के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा, "बुंदेलखंड में कहावत है कि बुजुर्गों को साथ ले गए तो काम अच्छे से हो जाता है. क्या माता-पिता को कचरे में डाल दोगे. हम भी बुजुर्ग हैं, तो क्या हमें भी उठाकर फेंक दोगे." बता दें कि मध्य प्रदेश में बीजेपी में ऐसे करीब 27 विधायक हैं, जो 2028 के विधानसभा चुनाव तक जो 75 साल के हो जाएंगे.
'बुजुर्ग हैं तो क्या हमें कचरे में उठाकर फेंक देगी पार्टी'
मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमारिया बीजेपी मुख्यालय में जिलाध्यक्षों के साथ मोर्चा प्रकोष्ठ की बैठक में शामिल होने पहुंचे थे. यहां मीडिया ने जब उनसे संघ प्रमुख मोहन भागवत के 75 की उम्र में खुद किनारे हो जाने वाले बयान पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि "हम भी बुजुर्ग हैं, तो क्या हमें उठाकर फेंक देगी पार्टी.
क्या मां-बाप को कचरे में डाल दिया जाता है. सबको वृद्धाश्रम में भेज रहे हैं. सब सेवा करने से कतरा रहे हैं." उन्होंने कहा कि "जो भी काम मिलेगा वो करेंगे. नहीं मिला तब भी करेंगे." कुसमारिया की गिनती बीजेपी में बेबाक बयानों के लिए ही होती आई है. मध्य प्रदेश में वे पहले और इकलौते नेता हैं, जिन्होने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर अपनी राय खुलकर रखी है.
उमंग सिंघार ने कुसमारिया के सहारे सरकार को घेरा
रामकृष्ण कुसमारिया, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को लिखी चिट्ठी को लेकर सुर्खियों में हैं. जिसमें उन्होने मुख्यमंत्री से ओबीसी आयोग में खाली पड़े पदों पर नियुक्ति के लिए लिखा है. इस पत्र में उन्होंने आयोग के लिए अलग से भवन दिए जाने की भी मांग की है. इसी मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बीजेपी सरकार को घेरते हुए एक्स पर पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि "अपने आप को ओबीसी हितों का रक्षक कहने वाली भाजपा सरकार, ओबीसी समाज से जुड़े मुद्दों पर कितनी संवेदनशील है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा के ही पूर्व सांसद और एमपी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष को आयोग में खाली पड़े पदों पर नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखना पड़ रहा है.
साथ ही आयोग के लिए पृथक भवन की मांग का उल्लेख भी इस पत्र में किया गया है. संविधान के अनुसार जिस आयोग का गठन ही, पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा करने तथा उनके सामाजिक और शैक्षणिक विकास के लिए काम करने हेतु किया गया हो, यदि वहां ही ऐसी स्थिति है तो पूरे राज्य में फिर क्या उम्मीद की जाए? 27% आरक्षण और पिछड़ा वर्ग से जुड़े अन्य मुद्दों पर सरकार की नीति से यह साफ है कि भाजपा ओबीसी समाज का वोट तो लेना चाहती है, लेकिन उन्हें अधिकार नहीं देना चाहती."
75 के फार्मूले पर चले तो 27 विधायक हो जाएंगे किनारे
बीजेपी अगर 2028 के विधानसभा चुनाव में 75 पार के उम्मीदवारों की सूची से बाहर करती है, तो मध्य प्रदेश के ऐसे 27 विधायक हैं जो चुनावी राजनीति से बाहर हो जाएंगे. इनमें से गोपाल भार्गव, अजय विश्नोई, बिसाहूलाल सिंह, पन्ना लाल शाक्य, सीताशरण शर्मा और जयंत मलैया समेत ऐसे 2 दर्जन से ज्यादा नेता हैं, जिनकी राजनीति पर संकट आ जाएगा.
पार्टी में मजबूत लोधी चेहरे के रूप में है पहचान
बीजेपी में उमा भारती के बाद रामकृष्ण कुसमारिया की पहचान लोधी चेहरे के तौर पर होती है. वे अकेले ऐसे नेता हैं जो दमोह लोकसभा सीट से 4 बार चुनाव जीत चुके हैं. इसके बाद जब उन्हें खजुराहो से टिकट दिया गया तो वे वहां से भी चुनाव जीत गए. 1976 में पहली बार हटा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले कुसमारिया 2008 तक विधानसभा पहुंचे.
2018 में टिकट नहीं मिलने से नाराज कुसमारिया 2 सीटों से निर्दलीय ही मैदान में उतर गए. हालांकि उन्हें दोनो जगह से हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद कुछ दिनों के लिए कांग्रेस के खेमे में भी शामिल हो गए थे, लेकिन बाद में बीजेपी ने उन्हें वापस पार्टी में शामिल करा लिया.