शेख हसीना की सत्ता के पतन के बाद आज कितना बदला बांग्लादेश 

ढाका । बांग्लादेश में पिछले साल 5 अगस्त को एक बड़ा बदलाव देखने को मिला था, जब छात्रों के नेतृत्व में एक विशाल आंदोलन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़कर भागना पड़ा था। यह आंदोलन सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ शुरू हुआ था, लेकिन जल्द ही यह हसीना की 15 साल पुरानी सरकार के खिलाफ एक जन आंदोलन में बदल गया। 1 जुलाई 2024 को, विश्वविद्यालय के छात्रों ने सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया। यह विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया। 5 अगस्त 2024 तक, प्रदर्शनकारी ढाका में प्रधानमंत्री आवास को घेरने में कामयाब हो गए। इस दौरान देशभर में हिंसा हुई, जिसमें लगभग 1,400 लोगों की जान चली गई। बढ़ती हिंसा और दबाव के कारण, शेख हसीना को हेलीकॉप्टर से भागना पड़ा। उनके सत्ता से हटने के बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा गया।
लेकिन शेख हसीना के हटने के बाद, बांग्लादेश में कई बड़े बदलाव हुए हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनी, जिसने देश में राजनीतिक सुधार और चुनाव कराने के लिए कदम उठाए। इस सरकार ने राष्ट्रीय सहमति आयोग जैसे कई आयोगों का गठन किया। हसीना के जाने के बाद, देश में कट्टरपंथ बढ़ गया है, जिससे खासकर हिंदुओं जैसे अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं ने अंतरिम सरकार की आलोचना की है कि वह मानवाधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है। हसीना के समर्थकों और विपक्षी दल पर भी हमले की खबरें आई हैं। अभी तक राजनीतिक दलों के बीच चुनाव की तारीख और प्रक्रिया को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। बांग्लादेश एशिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता ने देश के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
संक्षेप में, शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश में एक नए युग की शुरुआत हुई है, लेकिन यह नया युग राजनीतिक अनिश्चितता, हिंसा और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों की चुनौतियों से घिरा हुआ है।