जन्माष्टमी के बाद पड़ने वाली एकादशी पर बन रहा बेहद शुभ संयोग, दोगुना मिलेगा व्रत का फल!

हिंदू धर्म में हर महीने में दो एकादशी तिथियां आती हैं. एक शुक्ल पक्ष की और एक कृष्ण पक्ष की. हर एकादशी तिथि का अपना अलग महत्व होता है, लेकिन सालभर में आने वाली 24 एकादशी तिथियों में अजा एकादशी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर देते हैं. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे अजा एकादशी भी कहते हैं, इस बार इसका बड़ा महत्व है.

कब मनाई जाएगी अजा एकादशी?
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रप कृष्ण एकादशी तिथि 18 अगस्त को शुरू होगी और 19 अगस्त को दोपहर 03:32 मिनट पर तिथि का समापन होगा. उदया तिथि में 19 अगस्त को अजा एकादशी व्रत रखा जाएगा. पूजा मुहूर्त सुबह 9:08 बसे लेकर दोपहर 2:02 बजे तक होगा.

शुभ योग में अजा एकादशी
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर सिद्धि योग बन रह है. इसके अलावा इस एकादशी तिथि पर शिववास योग समेत कई और शुभ और मंगलकारी योग बन रहे हैं. इन योग में अगर विष्णुजी और मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करें तो जीवन के सभी दुखों का नाश हो सकता है और भौतिक सुखों की प्राप्ति हो सकती है.
अजा एकादशी व्रत से मिलेगा ये लाभ
शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक बेहतरीन अवसर माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से साधक सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान शुभ फल मिलता है. यह उपवास न केवल समृद्धि और भौतिक कल्याण लाता है, बल्कि आध्यात्मिक प्रगति में भी योगदान देता है.

एकादशी व्रत के दिन क्या करें?
एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि के बाद व्रत संकल्प लें. पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए क्योंकि पीला रंग भगवान श्रीहरि को प्रिय माना जाता है. भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें. इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है.