श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भक्ति, उल्लास और आस्था का जीवंत प्रतीक है. यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और विधि-विधान से किए गए पूजन और भोग से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होकर अपने भक्तों के घर पधारते हैं, और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. शास्त्रों और पुराणों में पंचामृत का विशेष महत्व बताया गया है. पंचामृत पांच पवित्र तत्वों दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल के मिश्रण से बनाया जाता है. इसे न केवल भोग के रूप में, बल्कि भगवान को स्नान कराने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराने की परंपरा है, जिसके बाद इसे प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है.
पंचामृत के भोग का लाभ
बागेश्वर के पंडित कैलाश उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार पंचामृत का भोग लगाने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है. उन्होंने कहा कि यह केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टि से भी लाभकारी माना जाता है. दूध और दही शरीर को ठंडक और पोषण देते हैं, घी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. शहद ऊर्जा का स्रोत है, और गंगाजल पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. पंचामृत बनाते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इसे तैयार करते समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनना, मन में भगवान का ध्यान रखना और शुद्ध पात्रों का प्रयोग करना आवश्यक है. परंपरागत रूप से चांदी या पीतल के पात्र में पंचामृत बनाना शुभ माना जाता है.
बागेश्वर में जन्माष्टमी की धूम
जन्माष्टमी के दिन पंचामृत से लड्डू गोपाल का अभिषेक करने के बाद, उन्हें फूल, माखन-मिश्री, सूखे मेवे और ताजे फलों का भोग लगाया जाता है. इसके बाद रात 12 बजे, जो श्रीकृष्ण का जन्म समय माना जाता है. भजन-कीर्तन और आरती के साथ पूजा संपन्न की जाती है. पूजा के बाद भक्त पंचामृत को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. जिसे सौभाग्य और आशीर्वाद प्राप्ति का माध्यम माना जाता है. इस बार जन्माष्टमी पर बागेश्वर के कई मंदिरों में विशेष पंचामृत महाभिषेक की तैयारियां चल रही हैं. मंदिरों को फूलों, झालरों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जा रहा है. श्रद्धालु बड़े उत्साह से पंचामृत और अन्य भोग की व्यवस्था कर रहे हैं.
कि आपके घर में भगवान का आशीर्वाद स्थायी रूप से बना रहे, तो पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं और प्रसाद स्वरूप परिवार के सभी सदस्यों को ग्रहण कराएं. आस्था और परंपरा का यह संगम न केवल धार्मिक अनुभूति कराता है, बल्कि परिवार और समाज में एकता, प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है. इसलिए इस जन्माष्टमी पर पंचामृत का भोग लगाकर आप भी भगवान कृष्ण की कृपा के अधिकारी बन सकते हैं.