सनातन धर्म में तीज-त्योहारों और व्रत पूजन का विशेष महत्व है. होली-दिवाली और जन्माष्टमी की तरह हल षष्ठी का व्रत भी इनमें से एक है. इसे हल छठ, हर छठ या ललही छठ व्रत के नाम से भी जानते हैं. यह व्रत भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी के लिए रखा जाता है. बता दें कि, हल षष्ठी व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है. हल षष्ठी का व्रत श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से ठीक पहले रखा रहा है. इस दिन माताएं अपनी संतान के सुखी जीवन और दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. अब सवाल है कि आखिर हलषष्ठी क्यों मनाई जाती है? इस बार कब है हरछठ का व्रत? श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का हल षष्ठी का क्या संबंध? आइए जानते हैं इस बारे में-
हल षष्ठी का व्रत कब रखा जाएगा
ज्योतिष गणना के अनुसार, इस साल हल षष्ठी 14 अगस्त दिन गुरुवार को है. पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 14 अगस्त को प्रात:काल में 4 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ है, जो 15 अगस्त शुक्रवार को मध्य रात्रि 2 बजकर 7 मिनट तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, हल षष्ठी 14 अगस्त को मनाना शास्त्र सम्मत है.
क्यों मनाई जाती है हल षष्ठी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हलषष्ठी का पर्व भगवान बलराम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. बता दें कि, द्वापर युग में भाद्रपद कृष्ण षष्ठी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था. इसलिए इस तिथि को बलराम जयंती भी कहते हैं. हल षष्ठी के दिन बलराम जी और छठ मैय्या की पूजा करने का विधान है. बलराम जी का शस्त्र हल था, इसलिए उनको हलधर कहते थे. षष्ठी के दिन जन्म और शस्त्र हल होने से दोनों को मिलाकर हल षष्ठी बना है. हल षष्ठी को हर छठ या हल छठ भी कहते हैं.
त्योहार से जुड़ी मान्यताएं
हलषष्ठी का पर्व कृषि से भी जुड़ा है, क्योंकि बलराम जी को कृषि और बल का प्रतीक माना जाता है. इस दिन, महिलाएं हल से जुती हुई चीजों का सेवन नहीं करती हैं, जैसे कि तालाब में उगाया गया चावल या महुआ. वहीं, कुछ क्षेत्रों में, इस दिन भगवान शिव के परिवार (शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय) की भी पूजा की जाती है.