रेबीज से बचाव के लिए जरूरी डॉग शेल्टर, राजेश-बृजेश की दर्दनाक कहानी

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते लावारिस कुत्तों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि सभी लावारिस कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखा जाए और यह ध्यान रखा जाए कि वे दोबारा गलियों या सड़कों पर न लौटें। सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों के काटने से फैलने वाली रेबीज बीमारी को लेकर चिंता जताई और इस पर सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने दावा (ref.) किया कि दिल्ली में हर दिन औसतन करीब 2,000 कुत्तों के काटने के मामले सामने आते हैं और अगर एनसीआर को भी जोड़ दिया जाए तो यह संख्या करीब 5,000 तक पहुंच सकती है। इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में कुत्तों के काटने के मामले 2022 में 6,691 थे, जो 2024 में बढ़कर 25,000 से ज्यादा हो गए हैं। यह समस्या की गंभीरता को दिखाता है। इस फैसले का बहुत से लोगों ने स्वागत किया है जबकि बहुत से लोगों ने निराशा जताई है।

हर साल एक लाख लोग शिकार

एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल दिल्ली में 1 लाख से ज्यादा लोग कुत्तों के काटने का शिकार होते हैं। सिर्फ तीन बड़े सरकारी अस्पतालों में 91,000 से ज्यादा केस सामने आए हैं। सफदरजंग अस्पताल में ही रोजाना 700-800 लोग रेबीज का टीका लगवाने आते हैं।

कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की रेबीज से मौत

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में रहने वाले 22 वर्षीय स्टेट-लेवल कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की रेबीज से मौत हुई थी। एक आवारा पिल्ले को बचाने की कोशिश के दौरान उसे काटने के कुछ सप्ताह बाद उसकी मौत हो गई। पिल्ले को नाले से बचाते समय बृजेश को हल्की चोट लगी, लेकिन उन्होंने इसे मामूली समझकर रेबीज का टीका नहीं लगवाया। कुछ दिन बाद उन्हें पानी से डर (Hydrophobia) और बेचैनी जैसे लक्षण दिखने लगे और उनका व्यवहार भी कुत्ते की तरह हो गया था।
उनकी मौत के बाद कई एक्सपर्ट ने बताया कि अगर वो समय पर रेबीज का टीका लगवा लेते तो उनकी जान बच सकती थी। कुत्ते के काटने पर बुखार, पानी से डर, उलझन, बेचैनी आदि लक्षणों के तुरंत इलाज से बचाव संभव है। रेबीज एक रोकने योग्य संक्रमण है, बशर्ते समय पर उचित कदम उठाएं जाएं।