सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए व्रत रखती हैं. भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं. इससे उनका वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा रहता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. हरतालिका तीज भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस साल हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा. विशेष कर जो महिलाएं इस साल पहली बार हरतालिका तीज का व्रत रखना चाहती हैं, उनके लिए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानें इस दिन व्रत और पूजा-अर्चना करने की विधि.
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य
26 अगस्त को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा. हर सुहागिन महिला को यह व्रत अवश्य रखना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार इसी तिथि में भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में प्राप्त किया था, इसलिए इस तिथि का विशेष महत्व होता है. हर पूजा-पाठ नियम और विधि के अनुसार ही करनी चाहिए ताकि शुभ फल प्राप्त हो. जो सुहागिन महिलाएं पहली बार हरतालिका तीज का व्रत कर रही हैं, उन्हें पूजा-पाठ के नियम और विधि अवश्य पता होनी चाहिए.
इन नियम विधि के साथ करें पूजा पाठ
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पार्थिव शिवलिंग बनाएं और चार प्रहर में पूजा और आराधना करें. यानी हरतालिका तीज के दिन प्रदोष प्रहर से ही पूजा आराधना शुरू कर दें. हर प्रहर में षोडशोपचार विधि से पूजा करें. इस दिन रात में जागरण का विधान भी है, इसलिए रात्रि में जागकर तीज व्रत की कथा अवश्य सुनें. पूजा में माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पण करें, इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहेगी. यदि संभव हो तो हरतालिका तीज के दिन निर्जला व्रत रखें, अन्यथा फलाहार करके भी चार प्रहर में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती को खीरा अवश्य अर्पण करें.