हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का अलग रुतबा है. इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है. यह अवधि हर वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा के बाद शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलती है. पितृ पक्ष को पूर्वजों को समर्पित समय कहा गया है. इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों का आशीर्वाद देते हैं. माना जाता है कि जो व्यक्ति पितृ पक्ष में श्राद्ध, दान और सेवा करता है, उसके जीवन से संकट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
कि पितृ पक्ष सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है. इस दौरान गाय, कौवे, कुत्ते और चींटियों को भोजन करवाना बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है. यह परंपरा हमारे समाज में करुणा, दया और सेवा की भावना को मजबूत करती है. मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली बनी रहती है.
पितृ पक्ष की धार्मिक मान्यता
शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में किए गए दान और सेवा से पूर्वज प्रसन्न होते हैं. यह समय सिर्फ पूजा-पाठ का नहीं बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का होता है. लोग तर्पण करते हैं और ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं. कुछ विशेष जीवों को भोजन करवाने का महत्त्व भी बताया गया है. यह जीव प्रतीकात्मक रूप से पितरों से जुड़े माने जाते हैं. जब इन्हें भोजन कराया जाता है तो माना जाता है कि इसका पुण्य सीधा पितरों तक पहुंचता है.
गाय को भोजन कराना
गाय को हिंदू धर्म में माता का दर्जा प्राप्त है. पितृ पक्ष के दौरान गाय को भोजन कराने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि गाय को भोजन कराने से पितर प्रसन्न होते हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है. गाय को हरा चारा, गुड़ या आटा खिलाना बहुत शुभ माना जाता है. यह भी कहा गया है कि यदि पितृ दोष किसी की कुंडली में हो तो गाय को नियमित रूप से भोजन कराने से दोष का प्रभाव कम होता है.
कौवे से क्या फायदा
कौवा पितरों का प्रतीक माना जाता है. पितृ पक्ष के दौरान कौवे को भोजन कराने की परंपरा बहुत प्रचलित है. कहा जाता है कि कौवे के माध्यम से पितर अपने अंश को ग्रहण करते हैं. यदि कौवा प्रसन्न होकर भोजन कर लेता है तो यह संकेत होता है कि पितर तृप्त और प्रसन्न हुए हैं. कौवे को चावल, रोटी और मीठा खिलाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है.
कुत्ते को भोजन के लाभ
कुत्ते को धर्म और रक्षक का प्रतीक माना गया है. पितृ पक्ष में कुत्ते को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. मान्यता है कि कुत्ते को भोजन कराने से जीवन में आने वाले संकट कम होते हैं और बाधाएं दूर होती हैं. कुत्ते को रोटी, दूध और गुड़ खिलाना शुभ माना जाता है. कई लोग मानते हैं कि कुत्ते को भोजन करवाने से घर में वफादारी और सुरक्षा बनी रहती है.
चींटियों से क्या लाभ
चींटी को भोजन कराना छोटा सा कार्य दिख सकता है लेकिन इसके पीछे गहरी धार्मिक भावना जुड़ी है. शास्त्रों में कहा गया है कि चींटियों को आटा या शक्कर खिलाने से पितर प्रसन्न होते हैं. यह कार्य बहुत पुण्यदायी माना गया है. चींटियों को भोजन करवाने से घर में दरिद्रता और रोग दूर होते हैं. यह कार्य अहिंसा और दया का प्रतीक भी है.
पितृ दोष के नुकसान
जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके जीवन में बाधाएं और परेशानियां आती हैं. ऐसे लोगों को पितृ पक्ष के दौरान इन जीवों को भोजन कराने की विशेष सलाह दी जाती है. यह उपाय पितृ दोष को कम करने वाला और जीवन को सकारात्मक ऊर्जा देने वाला माना जाता है.