डराने में नाकाम रहा ‘शापित आईना’, हॉरर लवर्स को नहीं मिला थ्रिल

मुंबई: पैरानॉर्मल मामलों के विशेषज्ञ रहे एड और लोरेन वॉरेन दंपत्ति के आखिरी केस को ‘द कॉन्ज्यूरिंग: लास्ट राइट्स’ में दिखाया गया है। यह फिल्म ‘द कॉन्ज्यूरिंग’ फ्रेंचाइजी का नौवां भाग और कथित तौर पर आखिरी भाग है। हालांकि, ये फिल्म पिछले भागों के मुकाबले कमजोर पड़ती दिख रही है। हॉरर और रूह कंपा देने वाले सीन्स देखकर जहां दर्शकों को पसीने आने चाहिए, तो वहां फिल्म थोड़ी उबाऊ लगती है। ये कहा जा सकता है कि ‘द कॉन्ज्यूरिंग’ सीरीज को इस अंतिम भाग से अच्छी विदाई नहीं मिली। 

फिल्म में कुछ दृश्य आपको सीट पर जमने के लिए मजबूर कर सकते हैं। साथ ही फिल्म में आपको कुछ पुराने भागों की भी झलक मिलती है, जो आपको उस दौर में ले जाएगा। तो आइए जानते हैं फिल्म के सकारात्मक और नकारत्मक पक्ष।

कहानी
‘द कॉन्ज्यूरिंग: लास्ट राइट्स’ फिल्म की शुरुआत होती है साल 1961 से जहां लोरेन वॉरेन (वेरा फार्मिगा) और एड वॉरेन (पैट्रिक विल्सन) एक आईने की जांच करते हैं। फिर दिखता है कि लोरेन प्रेग्नेंट हैं और उन्होंने उस आईने में खौफनाक दृश्यों के साथ अपने अजन्मे बच्चे को देखा, जिसके बाद उनके पेट में दर्द होने लगता है। फिर एड उन्हें आनन-फानन में हॉस्पिटल लेकर जाते हैं, जहां उन्हें एक बेटी होती है वो भी मरी हुई। हालांकि, ईश्वर से प्रार्थना करने पर उनकी बेटी कुछ ही मिनटों में जिंदा हो जाती है और रोने लगती है। इस चमत्कार को देखने के बाद वारेन दंपत्ति ने बेटी का नाम जूडी (मिया टॉमलिंसन) रखा। फिर लोरेन, जूडी को अपने सपने को नियंत्रित करना सिखाती है, जिससे उसे भविष्य में कोई परेशानी ना हो। कई साल बीतने के बाद साल 1986 में वारेन दंपत्ति रिटायर्ड होने का फैसला करते हैं और बाकी जिंदगी सुकून से बिताना चाहते हैं। इसी दौरान जूडी को टोनी (बेन हार्डी) से प्यार हो जाता है। 

वहीं दूसरी तरफ पेंसिल्वेनिया शहर में स्मर्ल्स परिवार एक घर में रहने आता है, जिसमें जैक (इलियट कोवान), जेनेट (रेबेका काल्डर), और उनकी चार बेटियां हीथर , डॉन, शैनन और कैरिन शामिल होते हैं। इसके अलावा जैक के माता-पिता भी हैं। एक कार्यक्रम के दौरान हीथर को एक आईना गिफ्ट के तौर पर मिलता है, जिसे स्मर्ल्स परिवार घर ले आता है। इसी के बादे से उनके घर में बुरी शक्तियां मंडराने लगती हैं और अजीब-अजीब घटनाएं होती हैं, क्योंकि वो आईना शापित होता है। अब आगे कहानी में वारेन दंपत्ति इस शापित आईने से कैसे सामना करते हैं और अपनी बेटी बचा पाते हैं या नहीं। इसके लिए आप फिल्म देखें।

अभिनय
फिल्म के अभिनय की बात करें, तो वेरा फार्मिगा और पैट्रिक विल्सन के किरदार ने शुरुआत से लेकर अंत तक अच्छा काम किया है। वहीं मिया टॉमलिंसन ने भी अपने किरदार से लोगों को चौंकाने का काम किया। खासकर क्लाइमैक्स सीन्स में। हालांकि कुछ सीन्स में वो और बेहतर हो सकती थीं। इसके अलावा बेन हार्डी, इलियट कोवान ने भी अपनी भूमिका में दम दिखाया है। अंत में बेन हार्डी के किरदार ने भी दर्शकों को आकर्षित किया।

निर्देशन
माइकल चावेस के निर्देशन में बनी इस फिल्म से दर्शकों को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन वो खरे नहीं उतर पाए। डायरेक्टर ‘द कॉन्ज्यूरिंग’ यूनिवर्स की इस अंतिम हॉरर फिल्म ‘द कॉन्ज्यूरिंग: लास्ट राइट्स’ को अच्छी विदाई देने में सफल नहीं हो सके। इस फिल्म में हॉरर एलिमेंट काफी कम दिखाई दिए और जो भी दृश्य दिखाए गए वो भी घिसे-पिटे और बेदम साबित हुए। इस फ्रेंचाइज की पिछली फिल्मों ने दर्शकों को वाकई में डराने का काम किया था। वहीं स्मर्ल्स परिवार के साथ हुई घटनाओं के दृश्य कमजोर लगे। हीथर के साथ खून की उल्टियां वाले सीन को और प्रभावशाली बनाया जा सकता था। साथ ही फिल्म को वारेन दंपत्ति के निजी जीवन पर ज्यादा केंद्रित किया गया, जो हॉरर कम-पारिवारिक ज्यादा लग रहा था।

क्या अच्छा है?
फिल्म में अच्छाई की बात करें, तो वेरा फार्मिगा और पैट्रिक विल्सन की एक्टिंग काफी शानदार है। उन्हें जो रोल मिले उन्होंने शानदार तरीक से निभाया। इसके अलावा क्लाइमैक्स सीन थोड़े बेहतर हैं। हीथर के साथ केक कटिंग वाला सीन डरावना लगा। इसके अलावा फादर गार्डन के सीन्स और उनकी मौत ने भी थोड़ा डराया। 

क्या बेहतर किया जा सकता था?
सबसे पहले बात करें, तो इंटरवल का पहला पार्ट काफी ऊबाऊ है, जो सिर्फ वारेन दंपत्ति के निजी जीवन पर केंद्रित होता नजर आता है, जिसे कम किया जा सकता था। इसके अलावा डर और रोमांच पैदा करने के लिए रूह कंपा देने वाले दृश्य काफी कम है। साथ ही कुछ सीन्स हैं, जो डराने का माहौल बनाते हैं, लेकिन फिर कमजोर पड़ जाते हैं। इसे और बेहतर किया जा सकता था। इसके अलावा क्लाइमैक्स सीन्स को और रोमांचकारी बना सकते थे।

फिल्म को क्यों देखें?
पहली बात अगर आप हॉरर-थ्रिलर फिल्मों के शौकीन हैं या इस फ्रेंचाइजी के फैन हैं, तो आप देख सकते हैं। साथ ही ‘द कॉन्ज्यूरिंग: लास्ट राइट्स’ फिल्म आप इसलिए भी देख सकते हैं, क्योंकि आपको ये पता चलेगा कि एड और लोरेन वॉरेन के पैरानॉर्मल मामलों का कौन सा आखिरी केस था। फिर इसके बाद उन्होंने इस पर काम करना क्यों बंद कर दिया। इन सबके जवाब आपको फिल्म से मिल सकते हैं।