गाजीपुर: गाजीपुर के संदल गांव में एक चौंकाने वाली घटना ने सभी को हैरान कर दिया। एक विवाहिता ने अपने पांच वर्षीय बेटे और तीन वर्षीय बेटी को छोड़कर अपने भतीजे के साथ विवाह रचा लिया। यह विवाह खानपुर थाना परिसर स्थित हनुमान मंदिर में संपन्न हुआ। पति ने माता-पिता और दोनों बच्चों की मौजूदगी में पत्नी की मांग में प्रेमी से सिंदूर डलवाया। मेहनत मजदूरी करने वाले पति को दो महीने पहले पत्नी के प्रेम संबंधों का पता चला था। उसने दोनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रेमी जोड़ा 15 दिन पहले फरार हो गया।
पति की शिकायत पर पुलिस ने दोनों को ढूंढकर वापस लाया। परिवार और समाज के विरोध के बावजूद विवाहिता ने प्रेमी से शादी करने की जिद पकड़ ली। अंत में पति ने ग्राम प्रधान, परिवार और संभ्रात लोगों की मौजूदगी में मंदिर में दोनों का विवाह करवाया। पति ने बताया कि पत्नी की जिद के आगे न उनकी चली, न बच्चों की। जिसे प्रेमी पति और बेटे-बेटी से ज्यादा प्रिय हो, उसे घर में रखना असंभव था। अनहोनी के डर से उन्होंने उसे (पत्नी) आजाद कर दिया।
स्थानीय लोग इस घटना को पारिवारिक मूल्यों पर चोट मानते हैं। विवाहिता के इस कदम ने बेटे और बेटी को मानसिक आघात पहुंचाया है। पीजी कालेज के समाजशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पंकज यादव ने इस मसले पर कहा कि यह घटना प्रेम, विवाह और पारिवारिक जिम्मेदारियों की धुंधली होती सीमाओं को उजागर करती है। समाज में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जो पारिवारिक ढांचे को कमजोर कर रही हैं। क्या प्रेम की खातिर परिवार को ठुकराना सही है? यह सवाल आज के समाज के लिए विचारणीय बन गया है।यह घटना समाज में कई अन्य सवाल भी खड़े करती है। क्या प्रेम के लिए परिवार और बच्चों की भावनाओं को नजरअंदाज करना उचित है।