पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) की आज से शुरुआत हो चुकी है, हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से इसकी शुरुआत होती है और अमावस्या तिथि को समापन होता है. शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य तीन ऋण लेकर जन्म लेता है- देवऋण, ऋषिऋण और पितृऋण. इन ऋणों की निवृत्ति के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध व तर्पण का विधान है. इस काल में किया गया जल-तर्पण, अन्न-दान और पिंडदान पितरों तक पहुंचता है. वे तृप्त होकर वंशजों को संतति, समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देते हैं. आज देशभर में पवित्र नदियों के किनारे पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जा रहा है.
अगरतला में पितृपक्ष के पहले पितरोंको तर्पण देते हुए. पितृपक्ष के पहले दिन तमिलनाडु के मरीना बीच पर पिंडदान करते हुए. पितृपक्ष के पहले दिन प्रयागराज के संगम घाट पर पिंडदान करते हुए. काशी के गंगाघाट पर पितृपक्ष के पहले दिन पितरों की पूजा करते हुए. पितृपक्ष के पहले दिन भोपाल में पितरों को तर्पण करते हुए. पितृपक्ष के पहले दिन गया में पितरों को तर्पण करते हुए. पितृपक्ष के पहले दिन मिर्जापुर में एक महिला पितरों का पिंडदान करते हुए. पितृपक्ष के पहले दिन मिर्जापुर में एक महिला पितरों का पिंडदान करते हुए. पितृपक्ष के पहले दिन मिर्जापुर में पीले कपड़े पहनकर सामूहिक पितरों को तर्पण करते हुए. पितृपक्ष के पहले दिन गंगा में स्नान करके पितरों की पूजा करते हुए. पितृपक्ष के पहले दिन पितरों की पूजा करते हुए.
पितृपक्ष के पहले दिन पवित्र नदियों के किनारे शुरू हुआ श्राद्ध, देशर भर में पूर्वजों के लिए तर्पण
