लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी स्थित श्रीरामस्वरूप मेमोरियल विवि में कथित फर्जी एलएलबी दाखिले और छात्रों के शांतिपूर्ण विरोध पर हुए पुलिस लाठीचार्ज के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने इसे प्रथम दृष्टया गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन मानते हुए यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी से लगाए गए अरोपों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही इस मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी मांगी है। आयोग ने जिम्मेदार अधिकारियों को इसके लिए 15 दिन का समय दिया है। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में एनएचआरसी को बताया कि विश्वविद्यालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रतिबंधों को दरकिनार कर अवैध दाखिले किए। साथ ही इसको लेकर जब छात्रों ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। जिसमें कई छात्र घायल हो गए है। शिकायत में यह भी बताया गया है कि इस कार्रवाई से छात्रों के शांतिपूर्ण विरोध और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
शिकायतकर्ता ने आयोग से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। साथ ही शिकायतकर्ता ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच, जिम्मेदार विवि और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही घायल छात्रों के इलाज के लिए मुआवजा देने का अनुरोध भी किया है। वहीं आयोग ने कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया पीड़िता के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन प्रतीत हो रहे हैं। वहीं मामले की सुनवाई आयोग की सदस्य प्रियांक कानूनगो की अध्यक्षता वाली पीठ ने की। पीठ ने इसे मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के अंतर्गत संज्ञान में लिया और यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी यूपी को नोटिस जारी कर जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। साथ ही आयोग ने यह भी कहा है कि रिपोर्ट की एक प्रति आयोग को ईमेल के माध्यम से भी भेजी जाए। फिलहाल इस मामले में आयोग को राज्य सरकार और पुलिस की कार्रवाई रिपोर्ट का इंतजार है।
रामस्वरूप कॉलेज में ABVP कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज, NHRC ने UP सरकार से तलब की विस्तृत रिपोर्ट
