विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में हिन्दी के योगदान के लिए स्थापित बहुविध राष्ट्रीय अलंकरण समारोह 15 सितंबर को, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे सम्मानित
भोपाल। राष्ट्र के निर्माण में भाषाओं के योगदान पर केन्द्रित दो दिवसीय भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान का आयोजन 14-15 सितंबर 2025 को रवीन्द्र भवन, भोपाल में किया जा रहा है। भारतीय मातृभाषाएँ सभ्यता, संस्कृति और अस्मिता का सूत्र हैं। माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान का मार्गदर्शन करेंगे। इस अनुष्ठान में खड़ी बोली हिन्दी में अवधी, ब्रज, भोजपुरी, मैथिली, बुंदेली, मालवी, छत्तीसगढ़ी व बघेली तथा कन्नड़, मलयालम, तेलुगु, बांग्ला, तमिल और हिन्दी का अंतरसंबंध, भाषा और संचार प्रौद्योगिकी, हिन्दी साहित्य और प्रौद्योगिकी, नाटक और सिनेमा की भाषा, नृत्य और संगीत की भाषा, जनजातीय एवं धूमंतु भाषा-संचार, राष्ट्र की प्राणधारा लोकभाषाएँ जैसे विविध विषयों पर केन्द्रित वैचारिक समागम में देश-प्रदेश के भारतीय भाषाओं के विशेषज्ञ-विद्वान सम्मिलित होंगे। इसके साथ भारतीय भाषाओं एवं बोलियों में काव्य गोष्ठी, प्रकाशन लोकार्पण तथा प्रदर्शनियाँ शामिल है। यह जानकारी माननीय मुख्यमंत्रीजी के संस्कृति सलाहकार एवं वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी एवं संस्कृति संचालनालय के संचालक एन. पी. नामदेव ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दी। वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी ने कहा कि भाषाएँ किसी भी राष्ट्र की आत्मा और निर्माता होती हैं। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में भाषाओं की भूमिका केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और ज्ञान की धरोहर भी हैं। राष्ट्र निर्माण में भाषाएँ वह सूत्र हैं जो समाज के विभिन्न वर्गों, प्रांतों और पीढ़ियों को एक साथ जोड़ती हैं। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि हम भारतीय भाषाओं के अध्ययन, लेखन, शोध और व्यवहार को प्रोत्साहित करें ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी सांस्कृतिक अस्मिता के साथ गर्वपूर्वक आगे बढ़ें। भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन ही आत्मनिर्भर, सशक्त और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र निर्माण का आधार है।
न्यासी सचिव ने कहा कि रवीन्द्र भवन, भोपाल में 14 और 15 सितंबर 2025 को दो दिवसीय भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें भारतवर्ष के विकास में भाषाओं के अवदान पर केन्द्रित विविध वैचारित गोष्ठियाँ, प्रकाशन लोकार्पण, प्रदर्शनियों के शुभारंभ के साथ स्वदेशी जागरण अंतर्गत देशहित में The Sootr का अभियान Be इंडियन Buy इंडियन हमारी लक्ष्मी, हमारे पास का शुभारंभ होगा। इसके साथ ही विक्रमोत्सव 2025 को लांगस्टैंडिंग आईपी ऑफ द ईयर का अवार्ड ईमैक्स ग्लोबल टीम द्वारा माननीय मुख्यमंत्रीजी को समर्पित किया जायेगा। संस्कृति संचालनालय के संचालक एन.पी. नामदेव ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में हिंदी भाषा के विकास के विभिन्न क्षेत्रों में अमूल्य योगदान के लिए पाँच राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मानों की स्थापना की गयी। माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 15 सितंबर को शाम 5:00 बजे देश-विदेश के विद्वानों को हिन्दी भाषा सम्मान से अलंकृत करेंगे। श्री प्रशांत पोळ, जबलपुर और श्री लोकेन्द्र सिंह राजपूत, भोपाल को 'राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान' सुश्री रीता कौशल, ऑस्ट्रेलिया एवं डॉ. वंदना मुकेश, इंग्लैण्ड को 'राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान', डॉ. इंदिरा गाजिएवा, रूस और श्रीमती पदमा जोसेफिन वीरसिंघे को 'राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान, डॉ. राधेश्याम नापित, शहडोल और डॉ. सदानंद दामोदर सप्रे, भोपाल को 'राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान' तथा डॉ. के.सी. अजय कुमार, तिरुवनंतपुरम् एवं डॉ. विनोद बब्बर, दिल्ली को राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान प्रदान किया जाएगा। ये सम्मान वर्ष 2024-25 के लिए प्रदान किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि आज वैश्वीकरण के युग में भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन का कार्य राष्ट्र निर्माण की नई चुनौती है। नई पीढ़ी को अपनी भाषा और बोली से जोड़े बिना आत्मनिर्भर और सशक्त भारत की परिकल्पना अधूरी रहेगी। भाषा ही वह शक्ति है जो समाज को जोड़ती है, संस्कार देती है और राष्ट्र को स्थायी दिशा प्रदान करती है। भारत में भाषायी सौहार्द, परस्पर सम्मान और सामंजस्य का सूत्र मातृभाषाएँ हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरू विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता में भाषा का योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। भाषा केवल संवाद का साधन भर नहीं, बल्कि समाज की चेतना, संस्कृति और मूल्यों की वाहक है। पत्रकारिता के माध्यम से जब विचार और तथ्य जनता तक पहुँचते हैं तो उनकी विश्वसनीयता, प्रभावशीलता और सार्थकता भाषा की सटीकता और सहजता पर निर्भर करती है।
इस अवसर पर दत्तोपंत ठेंगडी शोध संस्थान, भोपाल के निदेशक मुकेश मिश्रा ने कहा कि भारत जैसे विविधताओं वाले देश में भाषाएँ हमारी एकता को मजबूती प्रदान करती हैं। मातृभाषा और भारतीय भाषाओं ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत के निर्माण तक समाज को जागरूक करने और जनमानस को संगठित करने का कार्य किया है। साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे ने कहा कि दो दिवसीय आयोजन में साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के माध्यम से वरिष्ठ साहित्यकारों का दो दिवसीय विमर्शात्मक संगम भी होगा। इस युवा भाषा कुम्भ में भी रचनाकार अपनी भाषा बोलियों के सौष्ठव से परिचित होंगे। दो दिवसीय इस आयोजन का सबसे महत्त्वपूर्ण आकर्षण रहेगा, भारतीय भाषाओं और बोलियाँ से जुड़ा कवि सम्मेलन। इसमें संविधान में अनुसूचित भारतीय भाषाओं के साथ-साथ मध्य प्रदेश की अनुसूचित 6 बोलियों के कवि भी अपना रचना पाठ करेंगे।
यह आयोजन संस्कृति संचालनालय, वीर भारत न्यास, स्वराज संस्थान संचालनालय, माधवराव सप्रे समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, दत्तोपंत ठेंगडी शोध संस्थान द्वारा भारत भवन, साहित्य अकादमी, मराठी साहित्य अकादमी, सिन्धी अकादमी, भोजपुरी अकादमी, उर्दू अकादमी, पंजाबी अकादमी, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, निराला सृजनपीठ, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, एलएनसीटी विश्वविद्यालय, जागरण लेकसिटी विश्वविद्यालय, सेज विश्वविद्यालय, सैम ग्लोबल विश्वविद्यालय, मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की सहभागिता में आयोजित किया जा रहा है।