भारत में बसे नेपाली नागरिकों ने उठाई आवाज़– हिंसा नहीं, लोकतांत्रिक समाधान चाहिए, नेपाल के हालात गंभीर

गोरखपुर: पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में जारी हिंसा और प्रोटेस्ट का असर कुछ हद तक गोरखपुर में भी देखा जा रहा है। गोरखपुर में नेपाल के बहुत से लोग रहते हैं जिन्हें यहां की नागरिकता मिली हुई है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो आर्मी से लेकर अन्य क्षेत्रों में भी नौकरियां कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ लोगों से जब एनबीटी की टीम ने बात की तो ज्यादातर युवाओं का कहना था कि जो प्रोटेस्ट हो रहा है वह कहीं ना कहीं सही है। लेकिन जिस तरह हिंसा फैली उसका हम कहीं से भी सपोर्ट नहीं करते। वहीं उम्रदराज लोगों का कहना था कि किसी भी तरह हिंसा का कोई स्थान नहीं। इस मामले को शांति के साथ बैठकर भी हल किया जा सकता था। देश का युवा जब इस तरह आक्रोशित होकर सड़कों पर उतर जाएगा तो, देश के हालात भी अच्छे नहीं रह जाएंगे। युवाओं को अपने देश के भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए। वहीं छात्रों से जब इस बारे में बात की गई तो उनका भी रिएक्शन कुछ मिला-जुला ही रहा।

मामला जानिए
पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में इन दिनों अस्थिरता का माहौल है। पिछले एक सप्ताह से जारी हिंसा में जहां कई लोगों की मौत हो गई, तो सैकड़ो लोग घायल हैं। जगह-जगह हो रही आगजनी और तोड़फोड़ की वारदात से सरकारी संपत्तियों सहित आम नागरिकों को भी नुकसान पहुंचा है। सड़क पर उतरे आंदोलनकारी युवाओं ने हर तरफ अराजकता का माहौल पैदा कर दिया है। बता दें कि सरकार द्वारा सोशल मीडिया के बंद किए जाने के बाद यह प्रोटेस्ट शुरू हुआ। वहीं आंदोलनकारीयों का कहना है कि देश की सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त है। देश में न तो शुद्ध सड़कें हैं, न ही स्कूल, न कोई बड़े शिक्षण संस्थान और न ही अन्य मूलभूत व्यवस्थायें। वहीं सरकारी तंत्र में बैठे लोग लगातार मालामाल हो रहे हैं। बिल्डिंगें बन रही है, उनके बच्चे विदेश में पढ़ रहे हैं, लग्जरी लाइफ जी रहे हैं और आम नागरिक फांके मारने को मजबूर है। फिलहाल इस पूरी घटना के पीछे कौन लोग हैं और किस तरह हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है? यह तो आने वाले वक्त में ही पता चल पाएगा।

अस्थिरता का माहौल
नेपाल में जिस तरह अस्थिरता का माहौल है, इसका सीधा असर पड़ोसी राष्ट्र भारत में साफ तौर पर देखा जा रहा है। खासकर गोरखपुर का इलाका नेपाल बॉर्डर से पूरी तरह सटा हुआ है, यहां से बहुत से नागरिकों का रोज आना-जाना नेपाल और गोरखपुर होता है। बहुत से लोग वहां रह कर व्यापार भी करते हैं और स्थाई निवास भी बना लिया है। गोरखपुर में भी बहुत से नेपाली मूल के लोग सरकारी नौकरियों से लेकर फौज में शामिल हैं, कई यहां बिजनेस भी करते हैं। इनमें से ज्यादातर ने अपना स्थाई आवास बना लिया है। इसका एक सबसे बड़ा कारण दोनों देशों के बीच प्राचीन समय से रहे आपसी संबंध और सांस्कृतिक विरासत है। दोनों ही देश के ज्यादातर लोग हिंदू धर्म को मानने वाले हैं। उनकी संस्कृति भी एक जैसी है। गोरखपुर में रह रहे नेपाली मूल के ज्यादातर लोगों का मानना है कि प्रोटेस्ट की पृष्ठभूमि पहले से ही तैयार थी, पिछले 17 वर्षों के लोकतंत्र इतिहास में नेपाल में अब तक 15 प्रधानमंत्री बदले जा चुके हैं। बावजूद नेपाल राष्ट्र का विकास और राजनीतिक स्थिरता नहीं हो पाई।

नेपाल इन देशों पर निर्भर
नेपाल चीन और भारत जैसे देशों पर निर्भर। ऊपर से सरकारी तंत्र द्वारा सोशल मीडिया को बैन किए जाने के बाद देश का युवा आक्रोशित हो उठा क्योंकि ज्यादतार की रोजी-रोटी और रोजगार इसी सोशल मीडिया के माध्यम से चल रहा है। एनबीटी से बातचीत के दौरान भारतीय फौज से रिटायर्ड शहीद शिव सिंह छेत्री नगर निवासी गोपाल सिंह छेत्री कहते हैं कि नेपाल में ना तो कृषि की कोई व्यवस्था है और ना ही कोई बड़ी फैक्ट्रियां या रोजगार मौजूद हैं। ज्यादातर लोग टूरिज्म और वर्तमान में सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़कर अपना काम चला रहे हैं। जारी हिंसा के दौरान सैकड़ो लोग मारे गए पुलिस द्वारा जिस तरह युवाओं के माथे पर गोली मारी गई है। यह भी बेहद शर्मनाक और भयावह है।

शुभम थापा बोले
गोरखपुर में एक निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले नेपाली मूल के युवा शुभम थापा कहते हैं कि नेपाल में भ्रष्टाचार चरम पर है, नेताओं को देश की कोई चिंता नहीं। ज्यादातर नेता अमेरिका और चीन के पिट्ठू बने बैठे हैं। देश का युवा बेरोजगार है,उनके पास काम नहीं है। किसी तरह सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ पैसे कमाता है और पढ़ाई करता है, उसे भी बैन कर दिया गया। आजकल ज्यादातर छात्र इसी माध्यम से अपनी पढ़ाई भी करते हैं। यह सरासर युवाओं के साथ धोखा है। दूसरी तरह सरकार और सत्ता में बैठे हुए लोग मलाई काट रहे हैं।इनकी बड़ी-बड़ी कोठियां है, बिल्डिंग है। उनके बच्चे विदेश में रहकर पढ़ रहे हैं और लग्जरी लाइफ जी रहे हैं। वही देश का युवा सड़कों पर बेरोजगार घूम रहा है तो यह स्थिति आनी ही थी।

प्रतीक सिंह ने कहा
गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले प्रतीक सिंह कहते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है। वह कुछ हद तक ठीक है। लेकिन जिस तरह हिंसा बढ़ी है, उसका मैं विरोध करता हूं। निकम्मी सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट करना उचित है, लेकिन हिंसा का कोई स्थान नहीं। भारतीय सेना में 16 वर्ष नौकरी करने के बाद युवावस्था में ही रिटायर्ड हुए विशाल सिंह का कहना है। कि हम तो बचपन से ही भारत में पले बढ़े हैं, यहां के बारे में ज्यादा जानते हैं। नेपाल कभी-कभी जाना हुआ, लेकिन आज जिस तरह के हालात वहां पैदा हो चुके हैं, यह सब कुछ वहां की सरकार की नाकामी का ही नतीजा है। नेपाल को भारत से सीखना चाहिए। इतना बड़ा देश होने के बावजूद यहां कभी इस तरह के हालात पैदा नहीं हुए।

द्वितीय वर्ष की छात्रा ने कही ये बात
वहीं बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा और पार्ट टाइम टीचिंग करने वाले अंजली कहती हैं कि युवाओं को इस तरह जोश में होश नही खोना चाहिए। युवा देश का भविष्य हैं। इस हिंसा में आखिर नुकसान किसका है? पूरा देश जल रहा है। हालांकि सरकार को भी इस बारे में पहले से ही सोचना चाहिए था, जिस तरह टैक्स में बढ़ोतरी और सोशल मीडिया पर बैन लगाया गया है उसी का नतीजा है जो आज नेपाल के हालात हैं। इसके लिए वहां के भ्रष्ट नेता ही जिम्मेदार हैं।