भारतीय आईटी सेक्टर पर खतरा, आउटसोर्सिंग पर 25% अमेरिकी टैक्स से बढ़ी मुश्किलें

व्यापार: लंबे समय से अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे भारतीय आईटी क्षेत्र के लिए अमेरिका का 25 फीसदी का प्रस्तावित आउटसोर्सिंग टैक्स बड़ा खतरा बन सकता है। यह वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) की अर्थव्यवस्था को भी चौपट कर सकता है।

अगर यह प्रस्ताव लागू हुआ तो अमेरिकी कंपनियों को अपनी वैश्विक आउटसोर्सिंग रणनीतियों का सावधानी पूर्वक फिर से आकलन करना होगा, क्योंकि उत्पाद शुल्क, राज्य और स्थानीय करों के संयुक्त प्रभाव से विदेशी श्रम एवं सेवाओं को शामिल करने की लागत में बड़ी वृद्धि हो सकती है।

कर एवं उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है, इस प्रस्ताव से आउटसोर्स करने वाली अमेरिकी कंपनियों पर कर का बोझ करीब 60 फीसदी तक बढ़ सकता है। इससे दुनिया के सबसे बड़े आउटसोर्सिंग बाजार में दिग्गज कंपनियां आईटी सेवाओं को खरीदने के तरीकों में बदलाव ला सकती है। इसका असर 283 अरब डॉलर के भारतीय आईटी क्षेत्र पर पड़ सकता है। भारतीय आईटी कंपनियां तीन दशक से भी ज्यादा समय से बड़ी अमेरिकी इकाइयों को सॉफ्टवेयर सेवाओं का निर्यात कर रही हैं।

हायर अधिनियम लाने का मकसद
अमेरिकी रिपब्लिकन सीनेटर बर्नी मोरेनो ने पिछले सप्ताह हल्टिंग इंटरनेशनल रीलोकेशन ऑफ इम्पलॉयमेंट (हायर) अधिनियम पेश किया। इसमें विदेशी कर्मचारियों को नौकरी देने वाली कंपनियों पर 25 फीसदी कर लगाने का प्रस्ताव है, जिसका इस्तेमाल अमेरिकी श्रमबल के विकास में होगा। प्रस्ताव कंपनियों को आउटसोर्सिंग भुगतानों को कर कटौती योग्य खर्च के रूप में दावा करने से रोकता है।

भारत के लिए क्यों हैं चिंता की बात
हायर अधिनियम ऐसे समय में लाने का प्रस्ताव रखा गया है, जब भारतीय आईटी क्षेत्र अपने मुख्य बाजार अमेरिका में कमजोर राजस्व वृद्धि से जूझ रहा है। यह इसलिए, क्योंकि उपभोक्ता महंगाई और टैरिफ अनिश्चितता के बीच गैर-जरूरी तकनीकी खर्च टाल रहे हैं। भारतीय आईटी कंपनियां एपल, अमेरिकी एक्सप्रेस, सिस्को, होम डिपो, सिटीग्रुप और फेडेक्स को अपनी सेवाएं निर्यात करती हैं।

अमेरिकी कंपनियों के लिए भी दोहरा संकट
ईवाई इंडिया के जिग्नेश ठक्कर ने कहा, प्रस्ताव के तहत विदेश से प्राप्त आईटी सेवाओं के लिए 100 डॉलर का भुगतान करने वाली एक अमेरिकी कंपनी को इस लेनदेन पर 25 फीसदी उत्पाद शुल्क देना होगा। यह भुगतान और उससे जुड़ा उत्पाद शुल्क, दोनों ही कॉरपोरेट कर उद्देश्यों के लिए कटौती योग्य नहीं होंगे। इससे आउटसोर्सिंग भुगतान पर कर कटौती का नुकसान 31 फीसदी बढ़ सकता है। यह अमेरिकी कंपनियों के लिए दोहरी मार है।