भारत में ई20 ईंधन को लेकर क्या विवाद है?

नई दिल्ली । भारत में हाल ही में ई20 (इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल) ईंधन की अनिवार्य बिक्री को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। अप्रैल 2025 से देश भर के करीब 90,000 पेट्रोल पंपों पर सिर्फ ई20 ही उपलब्ध है, जिसके कारण पुराने वाहन मालिक और कई उपभोक्ता चिंतित हैं। कई वाहन मालिकों का दावा है कि ई20 ईंधन के इस्तेमाल से उनके वाहनों का माइलेज काफी घट गया है। यह ईंधन 2023 से पहले बने वाहनों के कुछ पुर्जों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। कई वाहनों के मैनुअल में भी केवल ई5 और ई10 ईंधन के इस्तेमाल की सलाह दी गई थी। अब पेट्रोल पंपों पर ई20 के अलावा कोई अन्य विकल्प मौजूद नहीं है, जिससे उपभोक्ताओं के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
जबकि इस पूरे मामले पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि ई20 पूरी तरह से सुरक्षित है और इस नियामकों और निर्माताओं का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने बताया कि यह नीति तेल आयात पर निर्भरता कम करने और किसानों की आय बढ़ाने में मददगार है। वहीं सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) का दावा है कि लाखों वाहन लंबे समय से ई20 पर चल रहे हैं और इससे कोई बड़ी समस्या नहीं हुई है। मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों ने भी कहा है कि वाहनों के प्रदर्शन पर फर्क उनकी देखरेख और ड्राइविंग स्टाइल पर निर्भर करता है।
इस विवाद का क्या समाधान है?
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका को पहले ही खारिज कर दिया था, जिसमें पेट्रोल पंपों पर ई20 के विकल्प देने की मांग की गई थी। इस समय, सरकार अपनी नीति पर दृढ़ है और ऑटोमोबाइल कंपनियां उपभोक्ताओं को आश्वस्त कर रही हैं कि ई20 सुरक्षित है।