अमेरिका की दोहरी रणनीति: चीन पर यूरोप संग टैरिफ दबाव और रूस की एनर्जी कमाई पर ब्रेक

व्यापार: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ नीति की चर्चा दुनियाभर में हो रही है। इसी बीच अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने चीन पर लगने वाले टैरिफ को लेकर बड़ा बयान दिया है। सोमवार को उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन चीन के सामान पर तब तक कोई नया अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाएगा, जब तक कि यूरोपीय देश चीन और भारत पर अपने कड़े शुल्क नहीं लगाते। इसका मकसद रूस से तेल की खरीद को रोकना और यूक्रेन में युद्ध को जल्द खत्म करना है।

बेसेंट ने एक विदेशी न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में बताया कि यूरोपीय देशों को रूस से तेल के राजस्व को कम करने में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत के आयात पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है, लेकिन यूरोप से उम्मीद है कि वे चीन और भारत पर 50% से 100% तक के भारी शुल्क लगाएंगे। इससे रूस को तेल से मिलने वाली आय बंद हो जाएगी, जो मॉस्को के लिए बड़ा झटका होगा।

इस दौरान बेसेंट ने कहा कि चीन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी तेल खरीदना देश की संप्रभुता का मामला है। उन्होंने कुछ यूरोपीय देशों की आलोचना की, जो रूसी तेल खरीदते हैं या रूस से कच्चा तेल खरीदकर भारत में परिष्कृत उत्पाद मंगाते हैं। उनका कहना है कि ये देश खुद अपने घर में चल रहे युद्ध को वित्तीय मदद दे रहे हैं।

बेसेंट ने भरोसा जताया कि अगर यूरोप रूसी तेल के खरीदारों पर कड़े शुल्क लगाए, तो यह युद्ध 60 से 90 दिन में खत्म हो सकता है क्योंकि इससे रूस का सबसे बड़ा राजस्व स्रोत बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत के साथ बातचीत में इस शुल्क नीति से काफी प्रगति हुई है।

अमेरिका-यूरोप साथ मिलकर रूस पर लगाएगें प्रतिबंध- बेसेंट
इसके साथ ही बेसेंट ने यह भी कहा कि अमेरिका यूरोपीय देशों के साथ मिलकर रूस की बड़ी तेल कंपनियों जैसे रोसनेफ्ट और लुकोइल पर और कड़े प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रूस की 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद जब्त की गई 300 अरब डॉलर की संपत्तियों का अधिक प्रभावी उपयोग करने की योजना भी है। इन संपत्तियों के कुछ हिस्सों को यूक्रेन को कर्ज देने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।