क्यों इस्लामिक नाटो’ संगठन में शामिल होने के लिए आतुर दिख रहा पाकिस्तान

दोहा । कतर के दोहा में इजरायली हमले के बाद मुस्‍ल‍िम देश एकजुट हैं। वहीं नाटो की तरह मुस्‍ल‍िम देशों का एक सैन्य ऑर्गनाइजेशन बनाने की बात कर रहे हैं। मिस्र ने इसका प्रस्‍ताव भी दिया है, इस पर पाकिस्तान बढ़ चढ़कर बातें कर रहा है। सवाल ये है कि क्या अरब और मुस्लिम देश मिलकर एक ‘इस्लामिक नाटो’ जैसा सैन्य गठबंधन बना सकते हैं? क्या पाकिस्तान गठबंधन में शामिल होने की हिम्मत कर पाएगा? 
इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने ‘इस्लामिक सैन्य गठबंधन’ बनाने की अपील की। उन्होंने कहा, मुस्लिम देशों को मिलकर अपनी रक्षा के लिए एक ज्‍वाइंट फोर्स बनानी चाहिए। मिस्र चाहता है कि सेंट्रल ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (बगदाद पैक्ट) की तरह एक कोएलिशन बनाया जाए, जिसमें सारे मुस्‍ल‍िम मुल्‍क शामिल हों। पाकिस्तान जो दुनिया का एकमात्र मुस्‍ल‍िम मुल्‍क है, वह बढ़ चढ़कर ‘अरब नाटो’ बनाने की वकालत कर रहा है। पाकिस्तान ने कहा, किसी भी मुल्‍क को इस्लामी देशों पर हमला करने और लोगों की हत्या करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 
इतिहास गवाह है कि अरब और मुस्लिम देशों के बीच इसतरह के गठबंधन पहले भी बने हैं, लेकिन वे ज्यादा दिन नहीं टिके। उदाहरण के तौर पर, 1955 से 1979 तक सेंट्रल ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन रहा, जिसमें पाकिस्तान, इराक, ईरान, तुर्की और ब्रिटेन शामिल थे लेकिन ईरान की इस्लामिक क्रांति के बाद यह बिखर गया। हाल के वर्षों में सऊदी अरब ने ‘इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेररिज्म कोएलिशन’ बनाया, जिसमें पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष राहील शरीफ को कमांडर बनाया गया, लेकिन यह भी ज्यादा प्रभावी नहीं साबित हुआ। 
बवाल और भी
पाकिस्तान पहले से ही इसतरह गठबंधनों में रुचि दिखाता रहा है। सऊदी के नेतृत्व वाले इस्लामिक मिलिट्री अलायंस में शरीफ की नियुक्ति इसका उदाहरण है। हाल की रिपोर्ट्स से संकेत मिलते हैं कि पाकिस्तान, तुर्की और मिस्र मिलकर एक ‘मुस्लिम फोर्स’ का प्रस्ताव दे रहे हैं, जहां एक देश पर हमला सभी पर हमला माना जाएगा। पाकिस्तान के लिए यह गठबंधन आर्थिक और सैन्य फायदे का स्रोत हो सकता है, खासकर जब वह आर्थिक संकट से जूझ रहा है। लेकिन क्या पाकिस्तान की आर्थिक निर्भरता पर अमेरिका और सऊदी अरब का प्रभाव इस रोक सकता है?
बात दें कि पाकिस्तान खुद की रक्षा नहीं कर सकता लेकिन मुस्‍ल‍िम वर्ल्‍ड का लीडर बनने का सपना देखता है।  एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान की जुर्रत होगी, क्योंकि वह खुद को मुस्लिम दुनिया का लीडर प्रोजेक्ट करना चाहता है। पाकिस्तान ‘इस्लामिक नाटो’ का सुझाव दे रहा है और इजराइल को सजा देने की बात कर रहा है। 
अगर पाकिस्तान गठबंधन में शामिल होता हैं, भारत के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। पाकिस्तान पहले से ही चीन के साथ मिलकर भारत को घेरने की कोशिश में लगा हुआ है। अगर मुस्लिम नाटो में पाकिस्तान शामिल होता है, तब यह गठबंधन कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दे सकता है, जिससे भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा। भारत के करीबी दोस्त जैसे यूएई और कतर भी इसमें शामिल हो सकते हैं, जो भारत-पाकिस्तान संबंधों को प्रभावित करेगा।