रूस-यूक्रेन की जंग में NATO और यूरोप की बढ़ रही दिलचस्पी ने दुनिया के सामने एक ऐसे युद्ध का संकट खड़ा कर दिया है, जिससे कोई भी अछूता नहीं रहेगा, लेकिन क्या महायुद्ध वाकई होने वाला है? सवाल अब तक की स्थिति में ज्यादा गंभीर नहीं लग रहा था, लेकिन अमेरिका में होने वाली एक खुफिया बैठक ने इस सवाल को बेहद गंभीर बना दिया है. ये बैठक है अमेरिकी सैन्य अधिकारियों की, जो बैठक में शामिल होने के लिए दुनियाभर से जुटेंगे.
दुनिया में जंग के कई मोर्चे खुले हैं और इन सभी मोर्चों पर अमेरिका कहीं प्रत्यक्ष रूप से शामिल है, तो कहीं परोक्ष रूप से. यही वजह है कि अमेरिका को लेकर एक संदेह की स्थिति पूरी दुनिया में बनी हुई है और अब ये संदेह एक आदेश से बहुत ज्यादा गहरा गया है. ट्रंप को सत्ता में आए 9 महीने से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन जिस दावे के साथ वो सत्ता पर काबिज़ हुए वो दावा हवाई साबित हो गया. शांति स्थापना की जगह जंग के कई और प्रत्यक्ष मोर्चे खुल गए.
जंग के जो हालात सिर्फ यूक्रेन तक सीमित थे, उनको ट्रंप की नीतियों से विस्तार मिला, लेकिन इसी रण विस्तार के हालात में अमेरिका के रक्षा मंत्री ने दुनिया में फैले अपने सैन्य अधिकारियों को एक अहम आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत अगले हफ्ते वर्जीनिया में सभी सैन्य अधिकारियों को जुटना होगा और इस बैठक का कारण असामान्य हालात बताया गया है. इसी आदेश के कारण ही संदेह जन्म लेता है कि जब फ्लैग या जनरल अफसरों की बैठक अमेरिका जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लेता है, तो दुनिया भर से उन्हें चर्चा के लिए वर्जीनिया क्यों बुलाया गया है?
ट्रंप युद्धविराम की कोशिश में नाकाम हो गए
क्या अमेरिका सीधे रूस के खिलाफ जंग में उतरने जा रहा है? ये संभावना हालांकि बहुत कम है क्योंकि अमेरिका साफ कर चुका है कि वो रूस के खिलाफ यूक्रेन की जमीनी लड़ाई में अपने सैनिकों की तैनाती नहीं करेगा, लेकिन ये घोषित नीति है, ट्रंप की योजना नहीं. इसलिए ट्रंप के प्लान पर कई सवाल खड़े होते हैं. क्या यूक्रेन को NATO की सदस्यता देने की तैयारी हो गई है, क्या जंग में NATO सेना को उतारने की तैयारी हो गई है, क्या आर्टिकल-5 के तहत अमेरिका ने जंग की तैयारी शुरू कर दी है और क्या अमेरिका ने यूरोप और NATO को जंग का फेस बनाने की तैयारी कर ली है?
अमेरिका NATO के बैनर तले रूस के खिलाफ जंग छेड़ सकता है, लेकिन ऐसा क्यों? कारण क्या हैं? कारण बहुत सीधे हैं कि ट्रंप युद्धविराम की कोशिश में नाकाम हो गए हैं. अपने खिलाफ में बन रहे माहौल से आजिज आ गए हैं. रूस के खिलाफ उठाए गए कदमों के बेअसर होने से निराश हो गए हैं और ट्रंप अमेरिका में भी अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं इसलिए, दुनिया में बनने वाले युद्ध के हालात में अमेरिका की स्थिति क्या होगी? इसका आकलन करने के लिए उन्होंने अपनी सभी कमांड के जनरल और एडमिरल्स समेत बड़े अधिकारियों को वर्जीनिया में जुटने के आदेश दिए हैं.
तख्तापलट करवाने की भी योजना?
हालांकि, ये अनुमान है इसका एक और पक्ष है खुफिया युद्ध, जिसमें विरोधी देशों के अंदर बगावत भड़काई जा सकती है. विरोधी देशों में सत्ता परिवर्तन के लिए प्रयोजित आंदोलन करवाए जा सकते हैं. इसके अलावा खुफिया हमले भी करवाए जा सकते हैं. मुमकिन है कि रूस के खिलाफ अगर ट्रंप एक्शन लेते हैं, तो तख्तापलट करवाने की भी योजना हो सकती है. इसकी आशंका कम है. इसकी अपेक्षा NATO और यूरोप को आगे करके युद्ध की आशंका ज्यादा है, जिसका प्रमाण है कि पोलैंड ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है.
इस एडवाइजरी के तहत बेलारूस छोड़ने के लिए कहा गया है. इसके अलावा बेलारूस और रूस से संबंधित देशों की यात्रा करने से बचने के लिए कहा गया है, जिसका सीधा मतलब है कि तैयारी सिर्फ हमले से बचाव की नहीं है, बल्कि युद्ध की है और इसी तैयारी वाले माहौल में ट्रंप ने अचानक सैन्य अधिकारियों की सीक्रेट बैठक बुलाई है, जिसके मायने बहुत गहरे हैं.
