राहुल गांधी को धमकाने वाले का ABVP से संबंध नहीं, छात्र संगठन ने की घटना की निंदा

नई दिल्ली। एबीवीपी (ABVP) का कहना है कि केरल (Kerala) के एक टीवी चैनल (TV channel) की बहस के दौरान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर अशोभनीय टिप्पणी करने वाले का विद्यार्थी परिषद से कोई संबंध नहीं है। वहीं एनएसयूआई ने एक टीवी डिबेट पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी को धमकी दिए जाने की घटना की तीखी निंदा की है।

एनएसयूआई अध्यक्ष वरुण चौधरी (NSUI President Varun Chaudhary) ने कहा कि यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं बल्कि लोकतंत्र पर सीधा वार है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा-आरएसएस की वही नफरतभरी सोच, जिसने महात्मा गांधी की हत्या करवाई थी, आज फिर सामने आ रही है।

उन्होंने कहा कि गांधी परिवार पहले ही देश की रक्षा के लिए इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे नेताओं का बलिदान दे चुका है। कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल पहले ही गृह मंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। चौधरी ने कहा कि राहुल गांधी छात्रों और युवाओं की आवाज़ उठा रहे हैं, भाजपा उन्हें धमकियों या हिंसा से चुप नहीं करा सकती।

उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे शर्मनाक बयानों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी नेता इस तरह की खतरनाक राजनीति की हिम्मत न कर सके। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर टीवी बहस के दौरान टिप्पणी संबंधी विषय में एबीवीपी ने भी बयान जारी किया है।

एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक हर्ष अत्री ने कहा है कि केरल के एक टीवी चैनल की बहस के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर एक नेता द्वारा की गई टिप्पणी के संदर्भ में विभिन्न मीडिया समूहों द्वारा चलाए जा रहे समाचारों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) का नाम प्रयोग करने के संबंध में यह स्पष्ट करना है कि संदर्भित टीवी पैनलिस्ट की विद्यार्थी परिषद से वर्तमान में कोई सम्बद्धता नहीं है। इसलिए इस संदर्भ में विद्यार्थी परिषद नेता या पूर्व नेता के रूप में उनके विचारों को प्रकट करना पूरी तरह से अनुचित तथा गलत है।

विद्यार्थी परिषद, विभिन्न मीडिया समूहों द्वारा इस संदर्भ में कवर किए गए समाचारों से एबीवीपी का‌ नाम हटा लेने का अनुरोध करती है।‌ विद्यार्थी परिषद छात्र संगठन की अपनी महती भूमिका में सतत सक्रिय है। राजनीतिक विषयों से विद्यार्थी परिषद की सम्बद्धता नहीं है, इसलिए ऐसे विचारों को विद्यार्थी परिषद के मत के रूप में मीडिया द्वारा प्रचारित नहीं किया जा सकता है।