नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, अमेरिका के मैनहैटन स्थित एक संघीय अदालत ने ट्रंप द्वारा लगाए गए 'लिबरेशन डे' टैरिफ पर रोक लगा दी है।अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है और उन्होंने अमेरिकी संविधान के खिलाफ जाकर कदम उठाया है। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रपति द्वारा लिए गए फैसले का बचाव करने की कोशिश की और टैरिफ को बरकरार रखने का आग्रह किया।
ट्रंप प्रशासन ने कोर्ट में दलील दी कि इस मामले में कानूनी झटके से चीन के साथ असमान व्यापार संघर्ष की दिशा को बदल सकता है और हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर को समाप्त कर सकता है।
ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि मई की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम को कराने के लिए राष्ट्रपति ने अपने टैरिफ पावर का इस्तेमाल किया था। ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि कई देशों के साथ टैरिफ के संबंध में व्यापार को लेकर बातचीत चल रही है और व्यापार सौदों को अंतिम रूप देने की अंतिम तिथि 7 जुलाई है।
हालांकि, कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन द्वारा दी गई दलीलों को खारिज कर दिया और 'कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड' की तीन जजों की बेंच ने कहा कि अमेरिकी संविधान के अनुसार विदेशी देशों के साथ व्यापार नियंत्रित करने का अधिकार केवल अमेरिकी कांग्रेस यानी की संसद के पास है न कि राष्ट्रपति के पास।
अदालत ने यह भी साफ किया कि मामला राष्ट्रपति के आपातकालीन शक्तियों के अंतर्गत नहीं आता है। कोर्ट ने कहा कि ट्रंप ने जो इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत टैरिफ लगाए थे, कानून उन्हें ऐसा असीमित अधिकार नहीं देता है।
जजों ने अपने आदेश में क्या लिखा?
- राष्ट्रपति द्वारा टैरिफ लगाने का यह दावा, जिसकी कोई समय या दायरे की सीमा नहीं है कानून के तहत दिए गए अधिकार से कहीं आगे बढ़ता है।
- यह टैरिफ गैरकानूनी हैं. टैरिफ लगाने का अधिकार अमेरिकी संविधान के अनुसार संसद यानी कांग्रेस को है न कि राष्ट्रपति को।
- केवल असाधारण आपात स्थिति में ही राष्ट्रपति को सीमित अधिकार मिलते हैं, लेकिन ट्रंप के मामलों में ऐसा कोई वैध आपातकाल नहीं था।
ट्रंप प्रशासन की क्या थी दलील?
- 1971 में तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने भी आपातकाल के तहत टैरिफ लगाए थे और तब कोर्ट ने उसे मंजूरी दी थी।
- राष्ट्रपति की आपात स्थिति घोषित करने की वैधता तय करना अदालत का नहीं, बल्कि कांग्रेस का अधिकार है।
- अदालत ने ट्रंप प्रशासन के द्वारा दी गई दलीलों को खारिज कर दिया।
क्या है ट्रंप टैरिफ?
- अमेरिकी कमांडर-इन-चीफ ने 2 अप्रैल को अमेरिका के अधिकांश व्यापारिक साझेदारों पर 10 प्रतिशत की आधार रेखा के साथ टैरिफ की घोषणा की।
- उन देशों के लिए उच्च दरें लागू की जिनके साथ अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापार घाटा है, विशेष रूप से चीन और यूरोपीय संघ।
- इनमें से कई देशों पर लगने वाले टैरिफों को एक सप्ताह बाद रोक दिया गया।
- टैरिफ रोकने के पीछे का कारण है कि अमेरिकी विनिर्माण क्षमता को बहाल करने के उद्देश्य से लगाए गए इन शुल्कों से अमेरिकी शेयर बाजार में हड़कंप मच गया था।
ट्रंप प्रशासन के फैसले को किसने दी चुनौती?
- एक मामला छोटे व्यापारियों के समूह द्वारा दायर किया गया था।
- दूसरा मामला 12 डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल्स द्वारा दायर किया गया था।
- उनका कहना था कि ट्रंप ने जिस कानून IEEPA का सहारा लिया, वह उन्हें दुनियाभर में एक साथ टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं देता।
- उनके वकील ने तर्क दिया कि ट्रंप का कथित आपातकाल तो उनकी कल्पना मात्र है. दशकों से ट्रेड डेफिसिट चला आ रहा है लेकिन इससे कोई संकट पैदा नहीं हुआ।
अब आगे क्या?
हालांकि, ट्रंप प्रशासन अब इस फैसले को यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट में चुनौती दे सकता है और फिर सुप्रीम कोर्ट जाने का भी रास्ता खुला है। यह पहली बार है जब किसी संघीय अदालत ने ट्रंप के टैरिफ को गैरकानून बताया है।