बालाघाट: लाल आतंक का गढ़ माने जाने वाले बालाघाट से एक बड़ी खबर सामने आई है. यहां एक महिला नक्सली ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है. नक्सलवाद को खत्म करने के दिशा में यह आत्मसमर्पण महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बालाघाट में 12 साल बाद किसी नक्सली का यह आत्मसमर्पण है. सरेंडर करने वाली युवती का नाम सुनीता बताया जा रहा है और वो छत्तीसगढ़ के बीजापुर की निवासी है. उस पर 8 लाख रुपए का इनाम भी घोषित था. वह बालाघाट में नक्सली गार्ड के रूप में काम कर रही थी.
12 साल बाद बालाघाट में नक्सली का सरेंडर
छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित नक्सल प्रभावित राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा नक्सल उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है. सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे सघन अभियान से नक्सलवाद की कमर टूट गई है. इस वजह से नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं.
बालाघाट में 12 साल बाद किसी नक्सली का आत्मसमर्पण है. इससे पहले साल 2013 में एक नक्सली ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था. अब एक महिला नक्सली ने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया है. यह आत्मसमर्पण मध्य प्रदेश नक्सली पुनर्वास सह राहत नीति 2023 के तहत हुआ.
नक्सल गार्ड के रूप में सक्रिय थी महिला
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आत्मसमर्पण करने वाली नक्सली सुनीता मात्र 23 साल की है. सुनीता 2023 से माओवादी संगठन से जुड़ी थी जो कि हाल ही में बालाघाट में दलम ग्रुप में सक्रिय हुई थी. सुनीता नक्सल गार्ड के रूप में अपनी सेवाएं दे रही थी. वो बालाघाट के नक्सली दलम के लीडर रामधेर की गार्ड बताई जा रही है.
सुनीता ने शुक्रवार देर रात बालाघाट की पितकोना पुलिस चौकी अंतर्गत ग्राम चैरिया कैंप में इंसास राइफल और 3 मैगजीन के साथ सरेंडर किया. इस आत्मसमर्पण की आधिकारिक पुष्टी आईजी संजय सिंह ने की है.
छत्तीसगढ़ से सटा है यह जंगली इलाका
बताया जा रहा है कि सुनीता ने माड़ क्षेत्र में 6 महीने का प्रशिक्षण लेने के बाद सेंट्रल कमेटी के सदस्य माओवादी रामधेर के सुरक्षा गार्ड के रूप में इंद्रावती और माड़ क्षेत्र में कार्य किया. सीसीएम माओवादी रामधेर की 11 सदस्यीय टीम के साथ सुनीता दर्रेकसा क्षेत्र पहुंची थी. यह क्षेत्र बालाघाट के लांजी तहसील अंतर्गत आता है. जहां नक्सलियों का सबसे ज्यादा आना-जाना लगा होता है. चूंकि यह सघन वन वाला क्षेत्र है और छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा हुआ है. इस वजह से ये नक्सलियों के आने-जाने और पनाहगार के रूप में सुरक्षित ठिकाना है.
8 लाख की इनामी नक्सली थी सुनीता
सुनीता पर 8 लाख रुपये का इनाम भी घोषित था. यह आत्मसमर्पण केंद्र सरकार की 'नियाद नेल्ला नर' योजना और राज्य की पुनर्वास नीति का परिणाम है, जिसमें आत्मसमर्पण करने वालों को 33 लाख रुपए तक की सहायता दी जाती है. सीएम मोहन यादव ने हाल ही में बालाघाट को नक्सल प्रभावित जिले की श्रेणी से मुक्त घोषित किया था. पूछताछ में सुनीता ने संगठन की आंतरिक कलह और सरकारी योजनाओं से प्रेरित होने की बात कही. इससे उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले समय में अन्य नक्सली भी सरेंडर कर सकते हैं.
