नई दिल्ली. आवारा कुत्तों (stray dogs) की बढ़ती संख्या और डॉग बाइट (Dog Bite) के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को अहम सुनवाई हुई. अदालत ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को राज्य के नाम के अल्फाबेट ऑर्डर के हिसाब से पेश होने का निर्देश दिया और राज्यों द्वारा दाखिल किए गए हलफनामों की समीक्षा शुरू की.
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को बताया कि अधिकांश राज्यों ने हलफनामे तो जमा किए हैं, लेकिन उनमें जरूरी आंकड़ों की कमी है. उन्होंने कहा कि “कई राज्यों ने यह नहीं बताया कि कितने कुत्तों की नसबंदी हुई, कितने एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर हैं और कितने शेल्टर बनाए गए हैं.” सिंघवी ने सुझाव दिया कि एक चार्ट तैयार किया जाए, जिसमें हर राज्य का डेटा स्पष्ट रूप से दिखे.
आदेश का पालन नहीं किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज
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इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सभी राज्यों ने अपने हलफनामे दाखिल कर दिए हैं और इसके लिए सारांश रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है. उन्होंने यह भी कहा कि “सभी राज्यों ने देरी के लिए माफी भी मांगी है.”
कई प्रदेशों ने दाखिल नहीं किया हलफनामा
हालांकि कोर्ट रजिस्ट्री की रिपोर्ट में बताया गया कि दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, और चंडीगढ़ ने अब तक हलफनामा दाखिल नहीं किया है. चंडीगढ़ के वकील ने कहा कि उन्होंने हलफनामा जमा किया है, लेकिन रिपोर्ट में वह शामिल नहीं हुआ है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वह आज पूरे मामले पर निर्णय नहीं लेगी, बल्कि पहले यह देखेगी कि कौन से राज्य क्या कह रहे हैं और डेटा कितना पूरा है. अदालत ने सभी राज्यों से एक चेकलिस्ट आधारित रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
दिशा-निर्देश राज्यों की रिपोर्ट के आधार पर तय होंगे!
कार्यवाही के दौरान अदालत में कुछ मजाकिया अंदाज भी देखने को मिले, जब सॉलिसिटर जनरल ने मजाक में कहा कि “लॉयर कोर्ट में घुस नहीं पा रहे हैं – सचमुच ‘एक्सेस टू जस्टिस’ में दिक्कत हो रही है.”
अंत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह फिलहाल सभी हलफनामों की समीक्षा करेगी और अगली सुनवाई में इंटरवेनर्स और अन्य पक्षों को सुनेगी. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आगे की दिशा-निर्देश राज्यों की रिपोर्ट के आधार पर तय किए जाएंगे.
