ढाका। बांग्लादेश (Bangladesh) की मुहम्मद युनूस (Muhammad Yunus) की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार (Interim Government) ने साफ कहा है कि अगर भारत (India) की अडानी कंपनी (Adani Company) के साथ हुए साल 2017 के बिजली समझौते में किसी तरह की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार का सबूत मिलता है, तो वे इस करार को रद्द करने से पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि, राष्ट्रीय समीक्षा समिति के एक सदस्य मुश्ताक हुसैन खान ने एक अहम बात कही है। उन्होंने कहा कि क्योंकि यह एक ‘सॉवरेन कॉन्ट्रैक्ट’ (दो देशों के बीच समझौता) है, इसलिए इसे मनमाने ढंग से खत्म नहीं किया जा सकता। ऐसे समझौतों को रद्द करने से बांग्लादेश को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालतों से भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में बड़े आरोप
यह बात एक ऐसी रिपोर्ट के सामने आने के बाद कही गई है, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र में “बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार” और “शासन में बड़ी विफलता” का दावा किया गया है। यह रिपोर्ट एक राष्ट्रीय समीक्षा समिति ने पेश की है, जिसे पिछली शेख हसीना सरकार के दौरान हुए बिजली क्षेत्र के सभी समझौतों की जांच के लिए बनाया गया था। समिति के प्रमुख, सेवानिवृत्त हाई कोर्ट के जज मोइनुल इस्लाम चौधरी ने कहा, “हमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, सांठगांठ, धोखाधड़ी और अनियमितताएं मिली हैं।”
सरकार ने की पुष्टि
रविवार को इस समिति के साथ बैठक के बाद, बांग्लादेश के बिजली, ऊर्जा और खनिज संसाधनों के सलाहकार मुहम्मद फौजुल कबीर खान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हालांकि समझौते में दावा किया गया है कि कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ, लेकिन अगर सबूतों से कुछ और साबित होता है तो समझौता रद्द किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “अदालतें सिर्फ मौखिक आश्वासन नहीं मानेंगी, इसके लिए ठोस कारण होने चाहिए।”
विवादास्पद है समझौता
25 साल का यह समझौता अडानी पावर और बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के बीच हुआ था। इसके तहत बांग्लादेश को झारखंड में अडानी के 1,600 मेगावाट के कोयला बिजलीघर से पैदा होने वली सौ फीसदी बिजली खरीदनी है। शेख हसीना सरकार के बाद आई नई सरकार ने इस समझौते की जांच शुरू की है। इस प्लांट को सिर्फ बांग्लादेश को बिजली देने के लिए ही बनाया गया था और बिजली एक क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइन के जरिए पहुंचाई जाती है।
