छत्तीसगढ़ कांग्रेस में लगातार पार्टी के भीतर गुटबाजी और विरोधाभास को लेकर बयान सामने आ रहे हैं। इसकी शुरुआत पार्टी से निष्कासित पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह ने की। उन्होंने कहा कि सत्ता को निपटाने और निपटाने के चक्कर में कांग्रेस की सरकार चली गई।
पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने बृहस्पति के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि उनके अनुभव के आधार पर यह बात सही है।
अमरजीत भगत का संतुलित बयान
पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने भी इस मामले पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि बृहस्पति और टीएस सिंह देव की बात स्वागत योग्य है। सत्ता में रहते हुए सभी ने खूब संघर्ष किया, अब विपक्ष में हैं, इसलिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा,
"बीती बात बिसारिये, आगे की सुध लें। एक ही बात को लेकर बैठे रहेंगे, ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा होये औरो को शीतल करें, आपो शीतल होये।"
भगत ने आगे कहा कि सारी बुराई उनके ऊपर डाल दें और अच्छाई सभी लें। उन्होंने जोर देकर कहा कि छत्तीसगढ़ के लिए बुराई को भूलकर अच्छाई की दिशा में आगे बढ़ना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा और एक-दूसरे को गिराने का खेल बंद होना चाहिए और सभी मिलकर पार्टी को मजबूत करें।
अंदरखाने की असंतुलन पर खुलकर बयान
सत्ता खोने के दो साल बाद भी कांग्रेस के नेता खुलकर अपनी बात रख रहे हैं। इसका मतलब है कि नेताओं के बीच अंदरखाने अब भी लय और ताल नहीं बैठ पाई है। हालांकि, अमरजीत भगत पिछले कुछ महीनों से मीडिया में सधा हुआ दृष्टिकोण रखते आए हैं।
कांग्रेस के सभी नेता समझ चुके हैं कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ा गया तो पार्टी के लिए सत्ता हासिल करना मुश्किल होगा। इसी कारण भगत जैसे नेता संतुलित बयान देते हुए पार्टी को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
