व्यापार: आने वाले महीनों में बैंकों की कमाई बढ़ने की उम्मीद है। सिस्टमैटिक्स रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों की मुनाफे में बढ़त चार वजहों से हो सकती है, ज्यादा कर्ज देने की रफ्तार, जमा पर घटती ब्याज दरें, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कमी और असुरक्षित लोन (जैसे पर्सनल लोन) में फिसलन कम होना।
माइक्रोफाइनेंस संस्थानों में लोन न चुकाने के मामलों में आई कमी
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक इस समय जमा पर दी जाने वाली ब्याज दरों को दोबारा तय कर रहे हैं, जिससे उनके खर्च कम होंगे और मुनाफा बढ़ेगा। साथ ही, माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (एमएफआई) में लोन न चुकाने के मामलों में कमी आई है, जिससे बैंकों की हालत और बेहतर होगी।
बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन में आ सकती है गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बैंकों का नेट इंटरेस्ट मार्जिन (एनआईएम) यानी ब्याज से होने वाली कमाई थोड़ा कम रह सकती है, लेकिन आगे जाकर ये स्थिर होने की उम्मीद है। कुछ बैंकों ने तो उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन भी किया है। ज्यादातर बैंकों के लिए लोन पर मिलने वाला ब्याज (यील्ड) थोड़ा घटा है, लेकिन इसका असर कम रहा क्योंकि बैंकों के लिए जमा और उधार पर ब्याज का खर्च भी घटा है।
फिक्स डिपॉजिट में किए गए बदलावों का फायदा
रिपोर्ट में कहा गया है कि फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में किए गए बदलाव का पूरा फायदा बैंकों को वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में दिखेगा। साथ ही, नकद आरक्षित अनुपात में कटौती का असर भी धीरे-धीरे नजर आएगा। बैंक प्रबंधन का अनुमान है कि तीसरी तिमाही में मुनाफे का मार्जिन स्थिर रहेगा और चौथी तिमाही से इसमें सुधार शुरू होगा, बशर्ते ब्याज दरों में आगे कोई कटौती न हो।
जीएसटी सुधारों और त्योहारी सीजन ने बढ़ाई कर्ज की मांग
पहली तिमाही में जहां कर्ज की रफ्तार धीमी थी, वहीं दूसरी तिमाही में इसमें तेजी आई। इसका कारण है जीएसटी दरों में कमी और त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग। इसी वजह से सालाना आधार पर क्रेडिट ग्रोथ बढ़कर 11.4 फीसदी तक पहुंच गई।
क्या कहते हैं आकड़े?
हालांकि दूसरी तिमाही में बैंकों के मुनाफे के कमजोर रहने की उम्मीद थी, लेकिन नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 3 अक्तूबर 2025 तक बैंकिंग सिस्टम के कुल कर्ज में तिमाही आधार पर 4.2% और सालाना आधार पर 11.4% की बढ़ोतरी हुई। वहीं जमा में तिमाही आधार पर 2.9% और सालाना आधार पर 9.9% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सार्वजनिक बैंकों में जमा की स्थिति सामान्य रूप से अच्छी रही, लेकिन कुल मिलाकर जमा की रफ्तार अब भी कर्ज की तुलना में धीमी है।
