UPI ट्रांजेक्शन बढ़े, लेकिन फ्रॉड भी बढ़ा; तुरंत करें शिकायत वरना नुकसान हो सकता है

व्यापार: सितंबर 2024 में राजस्थान के 13 लोगों के गैंग ने हैदराबाद की एक मशहूर इलेक्ट्रॉनिक्स चेन को करीब चार करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। तरीका क्या था? गैंग के लोग दुकान में जाते, महंगे फ्रिज-टीवी चुनते, क्यूआर कोड की फोटो खींचते। राजस्थान से उनके साथी असली पेमेंट करते। सामान मिल जाता, फिर बैंक में चार्जबैक कंप्लेंट डालकर पैसा वापस मंगा लेते और सामान भी रख लेते। पुलिस ने सबको पकड़ा, 1.72 लाख रुपये कैश और 50 लाख का सामान बरामद हुआ।

यूपीआई का जलवा
यूपीआई ने कमाल कर दिया। अक्तूबर-2025 में 20.7 अरब से ज्यादा ट्रांजेक्शन, 27 लाख करोड़ रुपये का भुगतान। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, यूपीआई से 18 अक्तूबर को अकेले एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ। करीब 67.5 करोड़ ट्रांजेक्शन प्रतिदिन हो रहे हैं, यानी दुनिया के आधे डिजिटल पेमेंट भारत में।  

और इसका अंधेरा
सरकार ने हाल में ही संसद को बताया कि-

  • 2022-23 से 2023-24 में फ्रॉड केस पूरे 85 प्रतिशत बढ़ गए-मतलब दोगुने से भी ज्यादा।
  • पैसे की ठगी 89.7 फीसदी बढ़ी-यानी ठग अब बड़े भुगतानों पर निशाना लगा रहे हैं।

अब बात 2024-25 में
अप्रैल से सितंबर, 2024 तक 6.32 लाख केस दर्ज हुए। 485 करोड़ रुपये डूब गए।
अगर यह रफ्तार बनी रही, तो इस साल यूपीआई फ्रॉड का रिकॉर्ड बनेगा। यानी UPI का इस्तेमाल जिस गति से बढ़ रहा है, फ्रॉड भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहे हैं। गौरतलब है कि यह आंकड़ा उस धोखाधड़ी का है, जिनकी शिकायत हुई है। जो रिपोर्ट नहीं हुए, उन्हें मिलाने के बाद आंकड़ा काफी बड़ा हो सकता है।  

क्या आपको पता है: यूपीआई में फ्रॉड रोकने के लिए नए नियम बनाए गए हैं।
कलेक्ट रिक्वेस्ट पर बड़ी कार्रवाई-अक्तूबर 2025 से NPCI ने पीयर-टू-पीयर (यानी दो लोगों के बीच) कलेक्ट रिक्वेस्ट पूरी तरह बंद किए। पहले 'रिफंड आया है' या 'केवाईसी कर लें' जैसे संदेशों के जरिये कलेक्ट रिक्वेस्ट आते थे और अप्रूव करते ही पैसे कट जाते थे। ध्यान रखें, इस तरह का कोई भी मैसेज फ्रॉड होता है।  हर पेमेंट में डबल लॉक-अब हर UPI ट्रांजेक्शन पर दोतरफा ऑथेंटिकेशन (2FA) अनिवार्य है। मतलब सिर्फ पिन डालने से काम नहीं चलेगा, बायोमेट्रिक (फिंगरप्रिंट/फेस) या दूसरा पासवर्ड भी लगेगा।

CPFIR  निगरानी-RBI ने बनाई है सेंट्रल पेमेंट्स फ्रॉड इन्फॉर्मेशन रजिस्ट्री (CPFIR)। इसमें हर बैंक को 24 घंटे के अंदर फ्रॉड की पूरी डिटेल डालनी पड़ती है-नंबर, UPI ID, कितने पैसे, कब हुआ… सब कुछ! जैसे ही कोई ठग कहीं फ्रॉड करता है, दूसरे बैंक को तुरंत अलर्ट मिल जाता है। इससे फ्रॉड पर लगाम लगती है।

UPI एप्स में नई सेफ्टी

  • अनजान UPI ID पर पेमेंट करने से पहले वार्निंग।
  • पहली बार किसी को पैसे भेजें, तो 1-2 घंटे का कूल-डाउन।
  • स्क्रीन शेयरिंग डिटेक्ट करके तुरंत ब्लॉक।
  • और सबसे जरूरी नया नियम: 3 दिन में cybercrime.gov.in या 1930 पर शिकायत की, तो आपकी जिम्मेदारी जीरो-बैंक को पूरा पैसा लौटाना पड़ेगा, चाहे ठग भाग जाए।

फ्रॉड से खुद को कैसे बचाएं?

  • कभी भी पिन, ओटीपी, पासवर्ड किसी को न बताएं।
  • पेमेंट करने से पहले यूपीआई आईडी चेक कर लें।
  • क्यूआर स्कैन करने पर मर्चेंट का नाम जरूर देखें।
  • बायोमेट्रिक लॉक लगाएं, एप हमेशा अपडेट रखें।
  • अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
  • पैसे आने हैं, तो पिन डालने की जरूरत नहीं–याद रखें।
  • पब्लिक वाई-फाई पर कभी ट्रांजेक्शन न करें।

जानना जरुरी है: ठगों के 10 खतरनाक हथियार

  • गलत क्यूआर कोड – 'पैसे लेने के लिए स्कैन करो' बोलकर भेजते हैं, स्कैन करते ही आपके अकाउंट से पैसे कट जाते हैं।
  • फेक स्क्रीनशॉट – पेमेंट दिखाकर सामान ले जाते हैं, असल में एक रुपया नहीं आता।
  • फिशिंग-विशिंग – बैंक वाला, पुलिस बनकर डराकर पिन-ओटीपी ले लेते हैं।
  • कलेक्ट रिक्वेस्ट – रिफंड या केवाईसी के नाम पर भेजते हैं, अप्रूव करते ही पैसे चले जाते हैं।
  • सिम स्वैप – सिम क्लोन करके ओटीपी लेते हैं।
  • स्क्रीन शेयरिंग– 'हेल्प चाहिए?' कहकर एप डलवाते हैं, आपका पिन देख लेते हैं।
  • चार्जबैक फ्रॉड– पेमेंट फेल्ड दिखाकर पैसे वापस लेना।
  • फेक लोन एप– तुरंत लोन का लालच।
  • दोस्त बनकर – व्हाट्सएप पर 'मम्मी बीमार हैं, जल्दी पैसे भेजो' वाला मैसेज।
  • ज्यादा पेमेंट वाला– 200 रुपये भेजकर कहते हैं गलती से 20,000 भेज दिए।

ठगी हो गई, तो क्या करें?

  • बैंक को फोन : अकाउंट फ्रीज व यूपीआई ब्लॉक कराएं
  • cybercrime.gov.in पर तीन दिन में कंप्लेंट या 1930 डायल करें। तीन दिन में रिपोर्ट, तो पूरा पैसा वापस मिल सकता है।
  • एनपीसीआई पोर्टल : बैंक ने नहीं सुना, तो यहां शिकायत करें।
  • FIR : 10 हजार से ज्यादा ठगी, पुलिस में FIR
  • आरबीआई ओम्बड्समैन : 30 दिन में बैंक न सुने, तो cms.rbi.org.in पर शिकायत करें।