नई दिल्ली: बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) द्वारा शुरू की गई ‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ को लेकर देश भर के सनातन धर्म प्रेमियों में भारी उत्साह है. यह पदयात्रा मंगलवार को दिल्ली से शुरू हो चुकी है, जो अगले 10 दिनों तक चलेगी और इसका समापन 16 नवंबर को छटीकरा चार धाम से वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में होगा. हालांकि, इस पदयात्रा को लेकर एक बड़ा प्रश्न संत प्रेमानंद महाराज के भक्तों के मन में जिज्ञासा पैदा कर रहा है: क्या प्रेमानंद महाराज भी इस महत्वपूर्ण ‘सनातन एकता पदयात्रा’ में शामिल होंगे? आइए जानते हैं बाबा बागेश्वर के आमंत्रण और प्रेमानंद महाराज की संभावित भागीदारी से जुड़ी अब तक की पूरी जानकारी.
आपको बता दें कि आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पिछले महीने ही अचानक वृंदावन पहुंचकर सभी को चौंका दिया था. वह सीधे श्री राधा केलिकुंज पहुंचे और प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज जी से भेंट की. यह मुलाकात न सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी, बल्कि इसका एक खास उद्देश्य भी था. इस भेंट के दौरान, बागेश्वर बाबा ने अपनी आगामी सनातन एकता पदयात्रा का आमंत्रण स्वयं प्रेमानंद महाराज को दिया था. प्रेमानंद महाराज ने बाबा बागेश्वर का स्नेहपूर्वक गले लगाकर स्वागत किया और उनके आमंत्रण को सहर्ष स्वीकार भी किया था. दोनों संतों के बीच लगभग पंद्रह मिनट तक गहन आध्यात्मिक चर्चा हुई, जिसमें मुख्य रूप से सनातन धर्म की एकता, समाज में जागरूकता और धर्म प्रचार जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया था.
‘सनातन एकता पदयात्रा’ का मुख्य उद्देश्य देश भर में सनातन संस्कृति के प्रति एकता और जागरूकता का संदेश फैलाना है. चूंकि प्रेमानंद महाराज स्वयं सनातन धर्म के प्रचारक हैं, इसलिए उनकी भागीदारी को लेकर उत्सुकता चरम पर है. मुलाकात के दौरान, संत प्रेमानंद महाराज ने धीरेंद्र शास्त्री को आशीर्वाद देते हुए कहा था कि वह भाव रूप में इस यात्रा में सम्मिलित रहेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि शास्त्री जी की यह पहल सनातन धर्म को एक नई और सकारात्मक दिशा देगी. आपको बता दें बागेश्वर धाम की ओर से यह बताया गया है कि प्रेमानंद महाराज को निमंत्रण भेजा गया है, लेकिन अभी तक उनकी ओर से पदयात्रा में शामिल होने की कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. इसलिए प्रेमानंद महाराज इस यात्रा में शारीरिक रूप से शामिल होंगे या नहीं, इसके बारे में अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. अब भक्तों को अब 16 नवंबर को वृंदावन में होने वाले समापन का इंतजार है, ताकि यह साफ हो सके कि सनातन धर्म के इन दो प्रमुख संतों का संगम इस पदयात्रा के दौरान हो पाता है या नहीं.
