शामली: शामली जनपद के दिल्ली में हुए दर्दनाक धमाके की चपेट में आकर झिंझाना कस्बे के युवा नोमान का जीवन छिन गया। नोमान कॉस्मेटिक की दुकान चलाकर घर चला रहा था पर उसका सबसे बड़ा सपना बहुत साधा पर बेहद नेक था। ईद तक अपने बीमार बड़े भाई फरमान की किडनी ट्रांसप्लांट करवा कर घर में फिर से खुशियां लौटाना।
परिवार के बयानों के अनुसार, इलाज का प्रारंभिक अनुमान करीब दस लाख रुपये आया था। नोमान ने इस उम्मीद और ज़िम्मेदारी को लेकर अक्टूबर में ही कस्बे के एक व्यापारी से पाँच लाख रुपये उधार लिए और भाई के इलाज के लिए पैसे जुटाने की पहल शुरू कर दी। रोजमर्रा की कमाई के साथ उसने जो बचत की थी, वह भी इलाज पर खर्च की जा चुकी थी।
घटना और परिवार पर प्रभाव
दिल्ली धमाके में नोमान की अचानक मौत ने परिवार की सारी योजनाएं और उम्मीदें चूर-चूर कर दी हैं। ना केवल इलाज के लिए जुटाए गए पैसे का अब कोई काम नहीं रह गया, बल्कि घर की एकमात्र सहारा भी छीन गया है। घर की आर्थिक दशा दयनीय है। नोमान की बड़ी बहन समरीन की शादी हो चुकी है, दूसरी बहन फरीन मदरसे में हिफ्ज़ पढ़ रही है, 11 वर्षीय शना दीनी तालीम ले रही है और 5 वर्षीय हुमैरा प्राथमिक कक्षा की छात्रा है।
परिवार में शामिल घरवालों का कहना है कि नोमान ही घर का मुख्य कमाने वाला था और उसने बहनों की पढ़ाई व जीवन बेहतर बनाने की ठानी थी। उसने देखभाल और उम्मीदों के साथ छोटे-छोटे लक्ष्य भी रखे थे। जैसे बहन फरीन को कारी (हुनर) बना कर आत्मनिर्भर करना और छोटी हुमैरा को डॉक्टर बनाना। आज यह सारे सपने अधूरे छोड़ गए हैं।
मां की पुकार
नोमान की मां अफसाना भावुक स्वर में कहती हैं। मेरे बेटे को चांद पर पहुंचना था, लेकिन किसी ने उसे हमसे छीना। जिन लोगों ने यह हमला किया उन्हें ऐसी सजा मिले कि किसी और मां को यह दर्द न सहना पड़े। परिवार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है।
जागरूकता व मदद की गुहार
परिजनों ने स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं से मदद की अपील की है। न केवल अंतिम संस्कार व दाह-संस्कार के खर्च हेतु बल्कि बचे हुए बच्चों की पढ़ाई और गुज़ारा चलाने के लिये भी। झिंझाना और आसपास के मोहल्ले में मौजूदा हालत से स्थानीय लोग भी टूटे परिवार के साथ खड़े हैं।
