भारत-कनाडा आर्थिक साझेदारी में नई शुरुआत, क्रिटिकल मिनरल्स पर गहरी बातचीत

व्यापार: भारत और कनाडा ने द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों पक्षों ने व्यापार और निवेश (एमडीटीआई) पर 7वीं मंत्रिस्तरीय वार्ता आयोजित की। बैठक में भारत के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और कनाडा के निर्यात संवर्धन, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक विकास मंत्री मनिंदर सिद्धू शामिल हुए।

सिद्धू का चार दिवसीय भारत दौरा रहा अहम
सिद्धू का 11-14 नवंबर का भारत दौरा दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के उन निर्देशों के अनुरूप रहा, जिनमें हाल ही में जी-7 शिखर सम्मलेन के दौरान हुई मुलाकात में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी थी। यह संवाद 13 अक्तूबर को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों द्वारा जारी संयुक्त बयान पर भी आधारित रहा। इसमें भारत-कनाडा आर्थिक संबंधों की नींव के रूप में व्यापार को रेखांकित किया गया था।

साल 2024 में भारत-कनाडा के बीच हुआ 23.66 अरब डॉलर का व्यापार
बैठक में दोनों मंत्रियों ने तेजी से बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार पर संतोष जताया। 2024 में भारत-कनाडा कुल व्यापार 23.66 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें 8.98 अरब डॉलर का माल व्यापार शामिल है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। दोनों पक्षों ने निवेश, सप्लाई चेन और रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।

कनाडा में भारतीय कंपनियों की बढ़ती उपस्थिति
उन्होंने दोतरफा निवेश में लगातार वृद्धि का भी उल्लेख किया, जो भारत में कनाडा के महत्वपूर्ण संस्थागत निवेश व कनाडा में भारतीय कंपनियों की बढ़ती उपस्थिति से उजागर हुआ। इससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं में हजारों नौकरियां पैदा हुई हैं।

महत्वपूर्ण खनिजों और स्वच्छ ऊर्जा में साझेदारी करने पर जोर 
मंत्रियों ने गहन सहयोग के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की रूपरेखा प्रस्तुत की। इनमें प्रमुख थे महत्वपूर्ण खनिजों और स्वच्छ ऊर्जा में दीर्घकालिक साझेदारी, जो ऊर्जा परिवर्तन और अगली पीढ़ी के औद्योगिक विकास के लिए जरूरी है। एयरोस्पेस व दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा देना, जिससे भारत में कनाडा के स्थापित परिचालनों और भारत के विमानन बाजार के तीव्र विस्तार का लाभउठाया जा सके।

नेताओं ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में चल रही बाधाओं की भी समीक्षा की और विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में अधिक लचीलेपन की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने सतत आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए विविध और विश्वसनीय आपूर्ति शृंखलाओं के महत्व पर बल दिया।