चाणक्य डिफेंस डायलॉग के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे जनरल उपेंद्र द्विवेदी
आतंकवाद, पाकिस्तान और सीमा सुरक्षा पर की बेबाक टिप्पणी
नई दिल्ली। चाणक्य डिफेंस डायलॉग के उद्घाटन सत्र में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को देश की सुरक्षा नीति, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और भविष्य की युद्ध रणनीति पर कई तीखे और स्पष्ट बयान दिए। उन्होंने कहा कि डिटरेंस तभी काम करता है जब राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, सैन्य शक्ति पर भरोसा हो और पर्याप्त क्षमता मौजूद हो और वर्तमान में भारत के पास तीनों हैं।
जम्मू-कश्मीर के हालात पर बोलते हुए सीडीएस जनरल द्विवेदी ने कहा, कि धारा 370 हटने के बाद घाटी में सकारात्मक बदलाव हुए हैं। स्वतंत्रता दिवस के दौरान जो भ्रम पहले था, वह समाप्त हुआ और आतंकवाद में भारी कमी आई है। उन्होंने कहा कि अब नई भर्तियां लगभग बंद हो चुकी हैं और जिन 21 आतंकियों को मारा गया, उनमें 61 फीसद पाकिस्तान से आए थे। इसी दौरान पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा, अगर कोई रोड़ा लगाएगा, तो हमें कार्रवाई करनी पड़ेगी। आतंकवादी और उनके आकाओं को जवाब देंगे ही। बैरन चिट्ठी भी आए तो हमें पता है किसे जवाब देना है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि यह केवल 88 घंटे में खत्म होने वाला एक ट्रेलर था, पूरी पिक्चर अभी बाकी है।
खून और पानी साथ नहीं बह सकते
फायरसाइड चैट में जनरल द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि भारत अब पुरानी नीति से आगे बढ़ चुका है और देश का न्यू नॉर्मल साफ है, बातचीत और आतंक साथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि जो भी राज्य आतंकवाद को समर्थन देगा, भारत उसे सीधे और स्पष्ट कार्रवाई से जवाब देगा। जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन पाकिस्तान को यह समझना होगा कि आतंकवाद का इस्तेमाल भारत पर दबाव बनाने के लिए नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, हम उन्नति की बात करते हैं, लेकिन अगर कोई रोक लगाएगा तो कार्रवाई जरूरी है।
चीन से रिश्तों पर संतुलित रुख
उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2024 के बाद चीन के साथ संबंधों में सुधार हुआ है। हालांकि भारत की सीमा नीति बिल्कुल सख्त है। सुरक्षा चुनौतियों की बदलती प्रकृति को देखते हुए सेना को लंबी लड़ाई के लिए भी तैयार रहना होगा।
मणिपुर में लौट रही शांति
मणिपुर की स्थिति पर सीडीएस ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद हालात में उल्लेखनीय सुधार हुआ। समुदायों में विश्वास बढ़ा है और प्रधानमंत्री की हालिया यात्रा से शांति प्रयासों को मजबूती मिली है।
