काला जादू से मुक्ति के लिए मां भवानी के इस मंदिर आते हैं भक्त, प्रसाद में चढ़ता है नमक, खास अनुष्ठान से पूरी होती है मनोकामना

देश भर में मां भगवती के अलग-अलग रूपों के शक्तिपीठ और सिद्धपीठ स्थित हैं, जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं. कर्नाटक के रामनगर जिले में मां भगवती का ऐसा मंदिर मौजूद है, जहां बुरी नजर और टोने-टोटके से बचने के लिए भक्त भारत के हर कोने से आते हैं. मां चामुंडेश्वरी का यह मंदिर कई रहस्यों से भरा है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से ही भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं और हर चिंता व परेशानी से मुक्ति मिलती है. यहां मन्नत मांगने के लिए खास चमत्कारी पत्थर का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही यहां माता रानी के साथ नंदी महाराज भी विराजमान हैं. आइए जानते हैं मां भगवती के इस चमत्कारी मंदिर के बारे में…
पंच धातुओं की बनी है मूर्ति
कर्नाटक के रामनगर जिले के चन्नापटना तालुक के गौडगेरे गांव में देवी चामुंडेश्वरी को समर्पित मां गौडगेरे चामुंडेश्वरी मंदिर है. मंदिर में अचंभित कर देने वाले कई रहस्य हैं. मंदिर के प्रवेश द्वार पर देवी चामुंडेश्वरी की 60 फुट ऊंची पंच धातुओं की मूर्ति बनी है, जिसमें मां की 18 भुजाएं हैं और सभी में अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं. यह प्रतिमा भक्तों के बीच आकर्षण का बड़ा केंद्र है, लेकिन असली रहस्य मूल मंदिर के गर्भगृह में छिपा है, जहां मां की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है.
बुरी नजर से बचने के लिए करते हैं यह काम
माना जाता है कि अगर किसी पर काला जादू-टोना हुआ है या बुरी नजर से परेशान है, तो मंदिर में मां चामुंडेश्वरी के सामने नमक चढ़ाने से सारी बला दूर हो जाती है. भक्त मंदिर के परिसर में मां के नाम से प्रसाद स्वरूप नमक चढ़ाते हैं. इतना ही नहीं, खास मनोकामना को पूरा कराने के लिए मंदिर में भेंट स्वरूप नारियल भी बांधा जाता है और कर्ज से मुक्ति के लिए एक चमत्कारी पत्थर पर सिक्का भी चिपकाया जाता है. कर्ज मुक्ति के लिए भक्त मंदिर में आकर अनुष्ठान भी कराते हैं.
मंदिर में नंदी महाराज भी
मंदिर में एक नंदी महाराज भी रहते हैं. माना जाता है कि जिस किसी को भी नंदी महाराज का आशीर्वाद मिलता है, उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं. भक्त नंदी महाराज के पैरों में लेटकर आशीर्वाद लेते हैं. माना जाता है कि मां के दर्शन के बाद नंदी महाराज के दर्शन करना जरूरी है. नंदी महाराज मंदिर में गर्भगृह में आकर पहले मां चामुंडेश्वरी का आशीर्वाद लेते हैं और फिर भक्तों को दर्शन देते हैं. नंदी महाराज के साथ हमेशा एक शख्स रहता है, जो उन्हें नोटों से सजाता है. मंदिर को लेकर पौराणिक कथा भी प्रचलित है. माना जाता है कि वर्षों पहले एक किसान को अपने खेत में मां चामुंडेश्वरी की स्वयंभू प्रतिमा मिली थी. किसान को मां ने स्वप्न में दर्शन देकर मंदिर बनाने का आदेश दिया था.