समंदर के पास मीठे पानी का रहस्यमयी कुआं, मां सीता से खास कनेक्शन, वैज्ञानिक भी करते हैं नमस्कार

धर्म और आस्था के केंद्र हमारे देश में कई प्राचीन, सिद्धपीठ और महाशक्ति पीठ मंदिर हैं, जहां भक्त अपनी श्रद्धानुसार जाते हैं. देश में मंदिर के साथ ही कुछ रहस्यमी चमत्कारी कुएं भी मौजूद हैं. कुछ कुओं को लेकर मान्यता है कि वे बड़ी से बड़ी बीमारी को ठीक करने की क्षमता रखते हैं, लेकिन तमिलनाडु के रामेश्वरम में ऐसा कुआं मौजूद है, जहां आज भी माता सीता के होने के प्रमाण मिलते हैं. यह कुआं 64 पवित्र कुओं में से एक माना जाता है और इस कुंआ के दर्शन करने मात्र से सभी इच्छाएं भी पूरी हो जाती है. गहरे समुद्र के पास एक मीठा कुआं होना किसी चमत्कार से कम नहीं है इसलिए भारत को चमत्कार का देश कहा जाता है. आइए जानते हैं इस खास कुंआ के बारे में…

श्रीराम ने बाण के प्रहार से बनाया पानी का झरना
तमिलनाडु के रामेश्वरम में विल्लुण्डी तीर्थम नाम का स्थल है, जहां भगवान श्रीराम और माता सीता का आगमन हुआ था. माना जाता है कि भगवान श्रीराम जब माता सीता को रावण की कैद से मुक्त करके वापस अयोध्या आ रहे थे, तब इसी स्थान पर माता सीता को प्यास लगी थी और भगवान श्रीराम ने बाण के प्रहार से पानी का झरना बनाया था. खास बात ये है कि ये स्त्रोत मीठे पानी का है और इसके पास खारे पानी का समंदर है. कोई नहीं जानता है कि समंदर के पास कुएं में मीठा पानी कहां से आया. भक्तों का मानना है कि ये भगवान श्रीराम का चमत्कार है और इस मीठे जल से शारीरिक रोगों का नाश होता है. भक्त कुएं का जल अपने साथ भी लेकर जाते हैं.
64 पवित्र कुओं में से एक
इस स्थान को विल्लुण्डी तीर्थम इसलिए कहा गया क्योंकि तमिल भाषा में बाण से बने छेद को विल्लुण्डी कहते हैं और तीर्थम का अर्थ है पवित्र स्थान. यह कुआं इसलिए भी खास है क्योंकि ये रामेश्वरम के 64 पवित्र कुओं में से एक है. कुएं से पहले भगवान शिव का प्राचीन मंदिर त्रयम्बकेश्वर भी है. भगवान शिव छोटे से मंदिर में शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं. कुएं के दर्शन करने से पहले भक्त भगवान शिव की अराधना करते हैं.

त्रयम्बकेश्वर मंदिर की स्थापना
माना जाता है कि त्रयम्बकेश्वर मंदिर की स्थापना भी माता सीता और भगवान श्रीराम ने मिलकर की थी. भक्त जोड़े में त्रयम्बकेश्वर महादेव की पूजा करने के लिए आते हैं. विल्लुंडी तीर्थम के पास कई और तीर्थ स्थल मौजूद हैं, जिनके दर्शन किए जा सकते हैं. मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर ही पंचमुखी हनुमानजी, अग्नि तीर्थम, धनुषकोडी और अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर भी मौजूद हैं. ये सभी मंदिर रामेश्वरम के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं.”