सड़ा गला गुड़, भैंस के इंजेक्शन, महुआ, धतूरे के बीज और यूरिया का हो रहा इस्तेमाल
भोपाल। मध्य प्रदेश में कच्ची व जहरीली शराब पकड़े जाने के मामले लगातार सामने आते रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची व जहरीली शराब जमकर बनाई व बेची जाती है और इसी शराब की वजह से कई लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। ताजा मामला छतरपुर का है जहां ड्रमों में भारी मात्रा में जहरीली शराब मिली है। पर क्या आप जानते हैं कि आखिर ये कच्ची शराब बनती कैसे है और कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में इतनी आसानी से ये अवैध कारोबार पनप जाता है?
दरअसल, कच्ची या महुआ वाली शराब बनाने में सड़ा गला गुड़ से लेकर धतूरा, यूरिया और यहां तक की ऑक्सिटोसिन इंजेक्शन का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसी वजह से ऐसी शराब जहरीली हो जाती है और इसे पीने वाले कई लोगों की मौत भी हो जाती है। मध्य प्रदेश में जहरीली शराब से मौत के मामलों की कमी नहीं है, बावजूद इसके आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में गुपचुप तरीके से कच्ची शराब बनाई जाती है।
भैंस को लगने वाले इंजेक्शन का भी इस्तेमाल
एक्सपर्ट बताते हैं कि कच्ची शराब बनाने के लिए पहले जहां महुआ, खमीर, गुड़ आदि को सड़ा कर चूल्हे पर चढ़ाया जाता था, तो वहीं आज ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए खतरनाक रसायनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसी शराब बनाने में महुआ, यूरिया, धतूरे के बीज, सड़ा-गला गुड़, शीरा, खमीर और ऑक्सिटोसिन इंजेक्शन को आपस मिलाया जाता है। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन वही इंजेक्शन होता है, जिसका इस्तेमाल गाय-भैंस का दूध उतारने में किया जाता है।
फिर तैयार हो जाती है मौत की शराब
कच्ची शराब बनाने वाले अक्सर ग्राहकों की मांग पर नशा बढ़ाने के लिए खतरनाक रसायनों और धतूरे के बीज आदि की मात्रा बढ़ा देते हैं। लेकिन एक निश्चित मात्रा के बाद इन तत्वों से शराब जहरीली हो जाती है और इसके सेवन से मल्टीपल ऑर्गन फेलियर हो जाता है और व्यक्ति की जान चली जाती है। कई बार ये शराब लोगों के शरीर में स्लो पॉइजन का काम करती है और धीरे-धीरे मौत की ओर ले जाती है।
भट्टी पर पकाई जाती है जहरीली शराब
कुछ क्षेत्रों में कच्ची शराब बनाने के लिए महुआ, गुड़ और पानी के साथ यूरिया और यीस्ट मिलाकर उसे जमीन में गाड़ दिया जाता है। इसके बाद इस मिश्रण से लाहन उठने पर इसे चूल्हे या भट्टी पर चढ़ा दिया जाता है। इसके बाद इस मिश्रण के मुहाने पर मटकेनुमा बर्तन को ढककर उसमें पाइप लगाई जाती है। जब मिश्रण खौलता है तो इससे उठने वाली भाप से शराब उतारी जाती है। इसके अलावा सड़े संतरे, सड़े गले अंगूर आदि से भी शराब का लाहन तैयार किया जाता है।
मुरैना में जहरीली शराब से हुई थी 24 मौतें
जनवरी 2021 में मुरैना में जहरीली शराब पीने से 24 लोगों की मौत हो गई थी। यूं तो इस मामले में 28 लोगों की मौत की बात सामने आई थी पर पुलिस की केस डायरी में 24 मौतों का जिक्र किया था, जिसमें एक नाबालिग भी शामिल था। हाल ही में इस मामले में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 14 आरोपियों को दोषी मानते हुए 10-10 साल की कैद की सजा सुनाई है।
मंदसौर में जहीरीली शराब ने ली थी 11 जानें
मंदसौर में भी जहरीली शराब पीने से 2021 में 11 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि, इस मामले में भी प्रशासन ने शराब से चार मौत होने की बात स्वीकारी थी। इसे लेकर मंदसौर में काफी बवाल हुआ था, विपक्षी दल ने दावा किया था कि 11 लोगों की मौत के मामले में प्रशासन ने गंभीर लापरवाही बरती और परिजनों के कहने के बाद भी पोस्टमॉर्टम नहीं कराया था। इसी घटना के बाद 3 अगस्त को शिवराज कैबिनेट ने अवैध शराब की बिक्री व निर्माण के खिलाफ कड़े कानून मुहर लगा दी थी।
जहरीली शराब के मामलों में कमी नहीं
सरकार द्वारा जहरीली अवैध शराब की बिक्री व निर्माण के खिलाफ भले ही कड़े कानून बना दिए गए हों, इसके बावजूद इन मामलों में कमी नहीं आ रही है। हाल ही में छतरपुर में जहरीली शराब की एक देशी फैक्ट्री पर आबकारी विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। यहां ड्रमों और कैन में भारी मात्रा में जहरीली शराब को जब्त कर नष्ट किया गया है। यह कार्रवाई बिजावर थाना क्षेत्र के ग्राम कंजरपुर में की गई, जहां कच्ची अवैध शराब की फैक्ट्री चल रही थी। यहां चूल्हे पर शराब को उबाल कर डिब्बो में भरा जा रहा था, तभी आबकारी टीम ने दबिश दे दी। मौके से देशी व कच्ची शराब बनाने बाला 4800 किलोग्राम महुआ लाहन व भट्टियां बरामद की गई हैं। अवैध शराब करीब की कीमत लगभग 4 लाख 80 हजार रु बताई गई हैं। आबकारी इंस्पेक्टर गजेंद्र यादव ने बताया, कि आबकारी अधिकारी के निर्देश पर टीम के साथ कार्रवाई की गई है, जिसमें 4800 लीटर शराब को जब्त किया गया है। इसके बाद मौके पर शराब व भट्टियों को नष्ट कर दिया है।
