उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में अनुशासन और जवाबदेही को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है | अब सभी सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में तैनात डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य कर दी गई है | महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने इस संबंध में सभी इकाइयों को सख्त निर्देश जारी किए हैं. सबसे खास बात यह है कि अब वेतन भी बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही जारी किया जाएगा |
डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में अनुपस्थिति और लापरवाही की शिकायतें लंबे समय से आ रही थीं, खासकर दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में. इस व्यवस्था से सभी की प्रभावी निगरानी संभव हो सकेगी | उन्होंने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ), अपर निदेशकों और स्वास्थ्य इकाइयों के प्रभारियों को बायोमेट्रिक सिस्टम स्थापित करने के आदेश दिए हैं | उपकरण लगाने के लिए करीब दो महीने का समय दिया गया है, जिसके बाद सख्ती से लागू किया जाएगा |
चरणबद्ध तरीके से लागू होगी व्यवस्था
पहला चरण- 105 जिला (पुरुष, महिला और संयुक्त) अस्पतालों और 975 सीएचसी में बायोमेट्रिक अटेंडेंस शुरू की जाएगी |
दूसरा चरण- इसके बाद 3,750 से अधिक पीएचसी में यह सुविधा लागू होगी. विभाग में कुल लगभग 8,500 डॉक्टर, 6,500 फार्मासिस्ट, 2,200 लैब टेक्नीशियन, 820 एक्स-रे टेक्नीशियन, 5,000 नर्स, 15,000 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और ईसीजी टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट आदि शामिल हैं. इन सभी को अब बायोमेट्रिक तरीके से ही हाजिरी लगानी होगी |
ग्रामीण इलाकों में 100% उपस्थिति का लक्ष्य
सरकार लंबे समय से ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति की समस्या से जूझ रही है. पहले भी अनुपस्थित डॉक्टरों को बर्खास्त करने के मामले सामने आए है | बायोमेट्रिक सिस्टम से न केवल उपस्थिति सुनिश्चित होगी, बल्कि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी | यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और दक्षता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है | विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे कर्मियों में अनुशासन बढ़ेगा और जनता की शिकायतें कम होंगी |
