सेव अरावली और वोट चोरी के मुद्दे के बाद अब कांग्रेस की सियासत ‘जी राम जी’ यानी मनरेगा के इर्द-गिर्द घूमती नजर आएगी। नए साल की शुरुआत के साथ ही कांग्रेस केन्द्र सरकार के खिलाफ मनरेगा बचाओ आंदोलन छेड़ने जा रही है। 5 जनवरी से देशभर में इस आंदोलन का आगाज होगा, जिसके तहत पैदल मार्च, मशाल जुलूस, धरना-प्रदर्शन और जनसभाओं का आयोजन किया जाएगा।
राजस्थान कांग्रेस भी मनरेगा को लेकर पूरे प्रदेश में आंदोलन शुरू करेगी। प्रदेश से लेकर ब्लॉक स्तर तक कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर केन्द्र सरकार के नए संशोधन बिल का विरोध करेंगे। कांग्रेस हाईकमान ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में मनरेगा को लेकर आक्रामक आंदोलन चलाने का प्रस्ताव पारित किया है। आंदोलन की रणनीति से जुड़ा सर्कुलेशन जल्द ही सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को भेजा जाएगा। कांग्रेस का आरोप है कि केन्द्र सरकार मनरेगा के मूल स्वरूप को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। इससे पहले संसद के दोनों सदनों में मनरेगा योजना का नाम बदलने और महात्मा गांधी का नाम हटाने को लेकर कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया था। हालांकि विरोध के बावजूद संशोधित बिल पारित हो गया, जिसके बाद अब कांग्रेस ने सड़क पर उतरने का फैसला किया है।
इस मुद्दे को लेकर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी भी सक्रिय नजर आ रही हैं। उन्होंने कुछ मीडिया संस्थानों में इस मुद्दे को लेकर एडिटोरियल भी लिखे हैं। इसके बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई, जिसमें मनरेगा को बचाने के लिए देशव्यापी आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया। कांग्रेस नेताओं ने इसे मजदूरों के हक की लड़ाई बताया है। दरअसल, मनरेगा से जुड़े करीब 12 करोड़ से अधिक मजदूर देशभर में कार्यरत हैं। ऐसे में कांग्रेस थिंक टैंक इस मुद्दे को बड़ा राजनीतिक हथियार बनाने की तैयारी में है। पार्टी मनरेगा के जरिए खुद को मजदूर हितैषी साबित करने और ग्रामीण वोट बैंक को साधने की रणनीति पर काम कर रही है। अब देखना होगा कि ‘जी राम जी’ यानी मनरेगा के मुद्दे पर कांग्रेस को कितनी सियासी सफलता मिलती है।
