यूपी में सख्त हुए मैरिज रजिस्ट्रेशन नियम: अब वीडियो रिकॉर्डिंग और पुरोहित का शपथ पत्र अनिवार्य

उत्तर प्रदेश में फर्जी शादियों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं. स्टांप एवं पंजीकरण विभाग के अपर महानिरीक्षक (एआईजी) को अब राज्य भर में शादी पंजीकरण की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है. खास तौर पर भागे हुए जोड़ों के मामले में विवाह समारोह की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य कर दी गई है. यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद लिया गया है, ताकि शादी पंजीकरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके.

एआईजी प्रतिदिन उप रजिस्ट्रारों द्वारा किए गए शादी पंजीकरण के काम की समीक्षा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि तय गाइडलाइंस का सख्ती से पालन हो रहा है. इसकी एक मासिक रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी, जिससे निगरानी प्रक्रिया में जवाबदेही बनी रहे. जब तक शादी पंजीकरण के नए नियम विधिवत रूप से लागू नहीं हो जाते, तब तक स्टांप एवं पंजीकरण विभाग के महानिरीक्षक को इन दिशा-निर्देशों का पालन कराने की जिम्मेदारी दी गई है. सभी डिप्टी रजिस्ट्रारों को निर्देश दिए गए हैं कि वे फर्जीवाड़े पर लगाम का लक्ष्य

पुरोहित को देना होगा शपथ पत्र

विवाह पंजीकरण के दौरान अब पुरोहित या विवाह संपन्न कराने वाले व्यक्ति को शपथ पत्र देना होगा. इस हलफनामे में पुरोहित का नाम, पिता का नाम, स्थायी और वर्तमान पता, आधार कार्ड की प्रति, मोबाइल नंबर, फोटो और यह घोषणा शामिल होगी कि उसने विवाह संपन्न कराया है. इसके अलावा, विवाह समारोह की वीडियो रिकॉर्डिंग भी अनिवार्य होगी, खासकर भागे हुए जोड़ों के मामलों में. यह व्यवस्था शादी की वैधता को सत्यापित करने के लिए की गई है.

डिप्टी रजिस्ट्रारों को विवाह प्रमाण-पत्र के पीछे यह स्पष्ट रूप से लिखना होगा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिसूचना (14.10.2024) के निर्देशों का पालन किया गया है. उन्हें पुरोहित के शपथ पत्र की जांच करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे प्रक्रिया से संतुष्ट हैं और पंजीकरण के समय मौजूद थे. दूसरी ओर, सहायक महानिरीक्षक इस अनुपालन की निगरानी करेंगे और देखेंगे कि डिप्टी रजिस्ट्रार अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक से कर रहे हैं या नहीं. इसकी पुष्टि के लिए कार्यालयों के रजिस्टर में मासिक प्रविष्टि भी दर्ज की जाएगी.

नए नियम से क्या होगा?

ये नए नियम खास तौर पर भागे हुए जोड़ों द्वारा फर्जी शादी और उम्र के प्रमाण-पत्रों के इस्तेमाल को रोकने के लिए बनाए गए हैं, जिनका दुरुपयोग अक्सर कोर्ट से सुरक्षा हासिल करने के लिए किया जाता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले भी नकली दस्तावेज जारी करने वाली संस्थाओं की जांच के निर्देश दिए थे, जिसमें टाउट और एजेंटों की भूमिका सामने आई थी. वीडियो रिकॉर्डिंग और शपथ पत्र जैसे कदमों को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि शादी की वैधता पर सवाल न उठें.

प्रशासन का मानना है कि ये उपाय फर्जी शादियों को रोकने और विवाह संस्था की पवित्रता को बनाए रखने में मदद करेंगे. जनता और कानूनी विशेषज्ञ इन नियमों के लागू होने पर नजर रखे हुए हैं, जो उत्तर प्रदेश में शादी पंजीकरण को एक व्यवस्थित ढांचा देने का काम करेंगे.