नई दिल्ली। केंद्र सरकार 2029 के आम चुनावों से पहले लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का परिसीमन करने जा रही है। नए परिसीमन के आधार पर देश में लोकसभा की कुल सीटें 848 तक बढ़ सकती हैं, जिनमें अकेले उत्तरप्रदेश की 143 सीटें होंगी, जो वर्तमान में 80 है। वहीं तमिलनाडु की सीटें 39 से 49 और केरल की 20 पर स्थिर रहेंगी, जिससे दक्षिण भारत का प्रतिशत प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा।
यह परिसीमन 2026 के बाद दो चरणों में होने वाली जनगणना के बाद होगा। यह जनगणना 1 मार्च 2027 से पहले पूरी की जाएगी। पहली बार इसमें शामिल जातिगत आंकड़े परिसीमन की आधारशिला बनेंगे। परिसीमन आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती दक्षिणी राज्यों की उस मांग को संतुलित करना होगा, जिसमें कहा गया है कि केवल जनसंख्या के आधार पर संसदीय सीटों का निर्धारण उन राज्यों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने 1970-80 के दशक में जनसंख्या नियंत्रण को प्राथमिकता दी थी। केंद्र सरकार ने इन राज्यों को आश्वासन दिया है कि उनकी चिंताओं को ध्यान में रखा जाएगा। गृहमंत्री अमित शाह ने फरवरी में कोयंबटूर में कहा था कि परिसीमन के चलते दक्षिण भारत की कोई भी सीट नहीं छीनी जाएगी।
महिला आरक्षण की योजना पर भी काम
सितंबर 2023 में संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित हुआ था, जिसमें लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 सीटों के आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन यह आरक्षण परिसीमन के बाद ही लागू किया जा सकता है, क्योंकि संविधान में इसी तरह की व्यवस्था की गई है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि हम 2029 तक महिला आरक्षण लागू करने का इरादा रखते हैं। जनगणना जल्द शुरू होगी और हम इसे तीन वर्षों में पूरा करने को लेकर आश्वस्त हैं। इसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होगी।