केरल तट के पास सिंगापुर के जहाज में भीषण आग, Indian Coast Guard ने बचाई जानें

भारतीय तटरक्षक बल ने नौसेना और वायु सेना के साथ मिलकर सिंगापुर के जहाज एमवी वान हाई 503 में लगी आग बुझाने और बचाव अभियान में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। इसके साथ ही आग से प्रभावित इस जहाज को केरल तट के पास भारतीय तटरेखा से दूर ले जाने की भी सफल पहल की है, जो एक व्यापक समुद्री पर्यावरणीय आपदा रोकने में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सुरक्षा बलों के इस संयुक्त अभियान की बदौलत प्रतिकूल मौसम के बावजूद जहाज पर लगी भयावह आग एवं अन्य कठिन चुनौतियों पर काबू पाया जा सका। गौरतलब है कि इस सप्ताह के प्रारंभ में सिंगापुर ध्वज वाले कंटेनर जहाज में लगी आग से इस जहाज के केरल तट के निकट होने के कारण बड़ा खतरा पैदा हो गया था।

'आग लगभग बुझ चुकी है'
बहरहाल, भारतीय तटरक्षक बल ने शनिवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "बचाव अभियान में एक बड़ी सफलता तब मिली, जब 13 जून को भारतीय तटरक्षक बल से इस जहाज को ऑफशोर वारियर को ट्रांसफर कर दिया गया। प्रतिकूल मौसम के बावजूद भारतीय नौसेना के 'सीकिंग' हेलीकॉप्टर ने कोच्चि से 20 समुद्री मील दूर जहाज पर बचाव दल को उतारा। तटरक्षक बल के तीन जहाज सिंगापुर के कंटेनर जहाज को एस्कार्ट कर रहे हैं। अब जहाज तट से 35 समुद्री मील दूर है, आग लगभग बुझ चुकी है।''

एक्स पोस्ट में यह भी कहा गया है कि हालांकि प्रतिकूल मौसम ने हवाई अभियान को सीमित कर दिया, मगर बचाव दल के बोर्डिंग में देरी के बावजूद 13 जून को कोच्चि से उड़ान भरने वाले नौसेना के सींकिंग हेलीकाप्टर ने अत्याधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बचाव दल के सदस्यों को जहाज पर सफलतापूर्वक उतारा। इसके बाद बचाव दल कोच्चि के तट से लगभग 20 समुद्री मील दूर आफशोर वारियर से 600 मीटर की रस्सी जोड़ने में सफल रहा। जहाज को अब 1.8 समुद्री मील की गति से पश्चिम की ओर खींचा जा रहा है और यह लगभग 35 समुद्री मील दूर है।

'यह एक शानदार उदाहरण'
भारतीय तटरक्षक, नौसेना और वायु सेना पर्यावरणीय आपदा को रोकने के लिए तालमेल से काम कर रहे हैं। समुद्री समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया का यह एक शानदार उदाहरण है।''

तटरक्षक बल नौवहन महानिदेशालय के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जहाज भारतीय तटरेखा से कम से कम 50 समुद्री मील की दूरी पर रहे, जब तक कि इसके मालिकों की ओर से अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार इस बारे में निर्णय नहीं लिया जाता है।