कथित कैश कांड में जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना को लिखे गए जवाबी पत्र के कुछ अंश सामने आए हैं. सूत्रों के मुताबिक जस्टिस वर्मा ने अपने जवाब में कहा कि वह अन्याय के खिलाफ नहीं झुकेंगे. आरोपों को नकारते हुए उन्होंने साजिश की ओर इशारा किया है. पहले भी उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के सीजे के समक्ष जवाब में साजिश की आशंका जताई थी.
जस्टिस वर्मा ने जवाब में इन हाउस इन्क्वायरी की छानबीन के तथ्यों में अनदेखे पहलुओं को भी स्पष्ट किया है. जस्टिस वर्मा ने जवाब में घर में ना होने और कर्मचारियों द्वारा घर में कैश मिलने जैसी किसी घटना के नकारे जाने के तथ्य को भी स्पष्ट किया है. जस्टिस वर्मा ने जवाब में इस्तीफा देने से इनकार करते हुए कहा था कि अन्याय के आगे झुकने को तैयार नहीं हूं.
दवाब के आगे झुकने से इनकार
कैश मिलने के मामले में तीन जजों की समिति द्वारा दोषी पाए जाने के बाद देश के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस संजीव खन्ना ने 4 मई को जस्टिस वर्मा को 48 घंटे की भीतर पद से इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने का समय दिया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस वर्मा ने तत्कालीन सीजेआई खन्ना के इस दवाब के आगे झुकने से इनकार कर दिया.
पक्ष रखने का मौका नहीं मिला
जस्टिस वर्मा ने 6 मई को तत्कालीन सीजेआई को लिखे पत्र में इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने से साफ इनकार कर दिया था. जस्टिस वर्मा ने तत्कालीन सीजेआई खन्ना से कहा था, पद से इस्तीफा देना या स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने का मतलब मौलिक रूप से अन्यायपूर्ण प्रक्रिया को स्वीकार करना होगा. इसके तहत उन्हें व्यक्तिगत सुनवाई और पक्ष रखने का मौका देने भी वंचित कर दिया गया.
निष्पक्षता को लेकर उठाए सवाल
जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने के बजाए, इस मामले में अपनाई गई प्रक्रियात्मक निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. तत्कालीन सीजेआई खन्ना ने 8 मई को मामले की जांच के लिए गठित तीन जजों की समिति की रिपोर्ट और जस्टिस यशवंत वर्मा का जवाब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज दिया था. जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी.