जेएनएन, डिजिटल डेस्क। ईरान-इजरायल युद्ध की वजह से इंटरनेशनल मार्केट में तेल की कीमतें आसमान छू चुकी हैं। कच्चे तेल की कीमत एक समय 81.40 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थी। मामले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार (23 जून, 2025) को तेल की कीमतों को नीचे रखने की इच्छा व्यक्त की है। उन्हें डर है कि मिडिल ईस्ट में चल रही जंग की वजह से तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है।
उन्होंने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखा, "सभी लोग तेल की कीमतों को कम रखें, मैं देख रहा हूं। आप दुश्मन के हाथों में खेल रहे हैं, ऐसा मत कीजिए।" इसके अलावा ट्रंप ने अमेरिकी ऊर्जा विभाग को संबोधित करते हुए एक और पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने उसे "ड्रिल, बेबी, ड्रिल" करने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा "मेरा मतलब अभी है।"
ईरान के रणनीतिक महत्व को लेकर विश्व बाजार में चिंता
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों को लेकर चिंता बनी हुई है, खासकर वैश्विक तेल आपूर्ति में ईरान के रणनीतिक महत्व को देखते हुए। ईरान OPEC+ के कुल प्रोडक्शन में लगभग एक तिहाई का योगदान करता है और इस ग्रुप का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इसकी आपूर्ति में कोई भी व्यवधान वैश्विक ऊर्जा बाजारों को प्रभावित कर सकता है, खासकर तब जब ईरान जवाबी कार्रवाई करने का निर्णय लेता है और होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी देता है। ये एक महत्वपूर्ण शिपिंग रास्ता है जिसके जरिए दुनिया का लगभग 20 प्रतिशत तेल गुजरता है।
कितनी बढ़ जाएंगी तेल की कीमतें?
हालांकि, इजरायल-ईरान संघर्ष में हाल ही में अमेरिका की भागीदारी के बाद, विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि होर्मुज जलडमरूमध्य में किसी भी तरह की बाधा होने की स्थिति में कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल का जोखिम अभी भी बना हुआ है। इससे अमेरिका स्थित WTI के 80 से 85 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचने की संभावना है।