उज्जैन आया अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस का दोषी, चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा

उज्जैन: वर्ष 2008 में गुजरात के अहमदाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट को 17 साल गुजर गए, लेकिन धमाकों की गूंज आज भी कानों में गूंजती है. 1 घंटे के अंदर 21 ब्लास्ट हुए थे और 56 बेगुनाहों की जान इस आतंकी वारदात में गई थी. उस केस में दोषी पाया गया उज्जैन का मोहम्मद शफीक कुरैशी गुजरात और एमपी पुलिस की सुरक्षा घेरे में 2 दिन से उज्जैन अपने घर में है.

दरअसल मोहम्मद शफीक को 2 दिन की पैरोल उसके भाई की बेटी के निकाह के लिए मिली है. करीब 33 पुलिस जवानों ने मित्र नगर स्तिथ शफीक के घर पर डेरा डाला हुआ है. शफीक के साथ 10 अन्य आतंकियों को उम्रकैद की सजा मिली है. मध्य प्रदेश से मोहम्मद शफीक कुरैशी और अली अंसारी का नाम उम्रकैद में है.

30 से अधिक जवानों का सुरक्षा घेरा

आतंकी शफीक को जब उज्जैन लाया गया तो, गुजरात की 16 पुलिस जवानों की एक टीम थी. जिसमें 2 SP, 2 TI और 12 पुलिस के अन्य अधिकारी व जवान हैं. टीम के उज्जैन आते ही ये संख्या डबल हो गई. जिसमें उज्जैन के थाना जीवाजीगंज, थाना चिमनगंज पुलिस के अधिकारी व जवान भी गुजरात पुलिस के साथ जुड़ गई. जिसके बाद 33 पुलिस के अधिकारी और जवानों के बीच शफीक अपने मित्र नगर स्तिथ घर में है. घर के बाहर, अंदर, पीछे और छत सब जगह पुलिस की कड़ी चौकसी है.

वहीं मामले में जानकारी देते हुए एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि " आतंकी शफीक कुरैशी को दो दिन की पैरोल पर उज्जैन लाया गाय है. जहां थाना जीवाजीगंज और थाना चीमनगंज सहित अन्य पुलिस कर्मी सुरक्षा का पहरा गुजरात पुलिस के साथ दे रहे हैं. उज्जैन पुलिस गुजरात पुलिस का सहयोग कर रही है. सोमवार शाम तक शफीक को वापस गुजरात ले जाया जाएगा."

 

8 माह पहले भी आया था शफीक

मोहम्मद शफीक 8 माह पूर्व सितंबर 2024 में भी 5 दिन की पैरोल पर पारिवारिक कारणों के चलते उज्जैन लाया गया था. उस वक्त भी शफीक के घर के बाहर-अंदर व छत पर पुलिस का कड़ा पहरा देखा गया था.

अहमदाबाद ब्लास्ट, उज्जैन के तीन आतंकियों को फांसी की सजा

मोहम्मद शफीक अंसारी उन दोषियों में से हैं. जिसे उम्रकैद मिली है. जबकि इस पूरे मामले में 49 दोषी हैं, जिन्हें 38 को फांसी की सजा व 11 को वर्ष 2022 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. फांसी की सजा में शामिल उज्जैन के ही तीन दोषी आतंकी हैं. जिनके नाम कमरुद्दीन चांद मोहम्मद नागोरी, आमिल परवाज, सफदर नागोरी है.

ब्लास्ट का मास्टरमाइंड था सफदर नागौरी?

सिमी का अध्यक्ष कहे जाने वाला सफदर नागौरी उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील का रहने वाला है. सफदर ने 1999 में विक्रम विश्वविद्यालय से मास्टर इन जर्नलिज्म की डिग्री हासिल की. वर्ष 2000 में ''बर्फ की आग कब बुझेगी'' नाम से कश्मीर मुद्दे पर एक विवादित शोध-पत्र लिखा था. सफदर के पिता पुलिस विभाग की क्राइम ब्रांच में एएसआई के पद पर पदस्थ थे, लेकिन सफदर की हरकतों के चलते उन्होंने उस से रिश्ता तोड़ लिया था.

सफदर ने उज्जैन में सिमी की नींव रख पूरे मालवांचल समेत देशभर में आतंक की जड़ें फैला दी थी. विशेष समुदाय के कम पढ़े-लिखे वह लोगों का ब्रेनवाश कर उनके दिमाग में भी सफदर ने जहर भर दिया था. बताया जाता है सफदर नागौरी के निर्देशन में इंदौर जिले के एक फॉर्म हाउस पर केरल, झारखंड कर्नाटक के सिमी के सदस्य आए थे. जहां फिजिकल एक्साइज हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती थी. सफदर के ही निर्देशन में सिमी की महिला शाखा ''शाइन फोर्स'' भी बनाई गई थी. जिसमें महिलाओं को बुलाया गया था.

दूसरा आतंकी सफदर का भाई कमरुद्दीन

कमरुद्दीन नागौरी जिसका पूरा नाम कमरुद्दीन चांद मोहम्मद नागौरी है. उसे सफदर ने आंध्र प्रदेश की सीमा का चीफ बना दिया था. कमरुद्दीन एक प्रदेश में चीफ रहते हर प्रदेशों में सिमी सदस्य को बनाने का काम करता रहा. कमरुद्दीन को 26 मार्च 2008 को इंदौर में गिरफ्तार किया गया था. जिससे कई साजिशों का पता चला. वर्ष 2017 में इंदौर सीबीआई कोर्ट ने कमरुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

 

 

सफदर जब साबरमती जेल में बंद था, उसने साथियों की मदद से जेल में 213 फीट लंबी सुरंग बनाई थी. इसके बारे में पता चलने पर कई आला अधिकारी सकते में आ गए थे. बताया जाता है कि साबरमती जेल से सुरंग के जरिए फरार होकर लक्षद्वीप जाता और वहां से पाकिस्तानी सेना की मदद से दुबई भागने की फिराक में था.

उज्जैन का ही निवासी तीसरा आतंकी आमिल परवेज

आमिल परवेज उज्जैन जिले के उन्हेंल तहसील का निवासी है. आमिल का उन्हेंल के छोटा बाज़ार स्थित एक मकान है. फिलहाल आमिल के मकान में कोई नहीं रहता, सिर्फ ताला लटका है. आमिल का परिवार लंबे समय तक यहां रहा और आमिल आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा. जिसके बाद अब आमिल को भी फांसी की सजा सुनाई गई.