भोपाल: मध्यप्रदेश की राजनीति की दो तस्वीरें बता रही हैं कि सियासत में सीन ऐसे भी बदलते हैं. जिन नेताओं की अदावत की सूबे की सियासत में मिसालें दी जाती हों. उनकी दोस्ती में बढ़े हाथ और बंद कमरे में हुई बैठकें बता रही हैं कि सियासत में वक्त के साथ दांव भी बदल जाते हैं और दुश्मनी दोस्ती भी बदल जाती है.
बीजेपी व कांग्रेस के दिग्गज आपस में मिले
साल 2019 में कमलनाथ सरकार के दौर में अपनी ही पार्टी के नेता दिग्विजय सिंह को माफिया बताने वाले नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार उनके घर पहुंचे. ये दो नेताओं की सौजन्य मुलाकात भर नहीं है. इत्तेफाक है कि इसी दिन बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शुमार कैलाश विजयवर्गीय ने अपने घर पर केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगवानी की. बता दें कि एक वक्त था कि कैलाश ने शिवराज सरकार के दौर में खुद को शोले का ठाकुर बताया था.
उमंग सिंघार दिग्विजय सिंह के द्वार
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की दिग्विजय सिंह से मुलाकात की तस्वीरें सिर्फ तस्वीरें नहीं हैं. ये मध्यप्रदेश में कांग्रेस की राजनीति का एक बेहद महत्वपूर्ण टर्निंग पाइंट है. टर्निंग पाइंट इसलिए भी कि दिग्विजय सिंह को लेकर उमंग सिंघार ये आरोप तक लगा चुके हैं कि वे उनको राजनीति नहीं करने दे रहे. 2019 में अपनी ही सरकार के दौर में उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह को पहले माफिया कहा था और फिर यहां तक कहा कि मुख्यमंत्री बेशक कमलनाथ हैं लेकिन पर्दे के पीछे से सरकार दिग्विजय सिंह ही चला रहे हैं.
क्या उमंग सिंघार का कद बढ़ने वाला है
इसके बाद में दिग्विजय सिंह के बंगले सिंघार माफी मांगने भी पहुंचे थे. लेकिन हुई इस मुलाकात ने कांग्रेस की सियासत में कई नेताओं के लिए अलार्म बजा दिया है. वो इसलिए भी कि इसे उमंग सिंघार की अपनी ताकत बढ़ाने के तौर पर देखा जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर सिंघार की दिग्विजय सिंह से हुई इस मुलाकात पर कहते हैं "दिग्विजय सिंह के लिए कहा जाता है कि जिसके कंधे पर दिग्गी राजा हाथ रख देते हैं, यूं समझिए कि फिर उसका नंबर लग गया."
कांग्रेस नेताओं की बीच कई प्रकार की चर्चा
प्रकाश भटनागर कहते हैं "ये तो नहीं कहा जा सकता है कि दिग्विजय सिंह भूलते कुछ नहीं है तो उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह के लिए कांग्रेस की ही सरकार में जो कुछ कहा था वे नहीं भूले होंगे. लेकिन राजनीति में वक्त बहुत मायने रखते हैं और उसी हिसाब से समीकरण बदल दिए जाते हैं. तो सिंघार की दिग्विजय सिंह के साथ हुई इस आत्मीय मुलाकात को उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. राजनीति में नेताओं का हर एक अंदाज मायने रखता है और एक संदेश देता है. जिस तरह से दिग्विजय सिंह उमंग सिंघार को बाहर तक छोड़ने आए. दिग्विजय सिंह ने उस विदाई से भी बाकी कांग्रेसियों को संदेश दिया है."
कैलाश के शिवराज के साथ वो 18 मिनट
2011 में डिप्टी सीएम बने बगैर शिवराज कैबिनेट में नंबर दो की पॉजीशन पर रहे कैलाश विजयवर्गीय का दर्द इंदौर के एक कार्यक्रम में फूटा था. उन्होंने कहा था कि मैं इंदौर के मामले में शोले का ठाकुर हूं. मुख्यमंत्री ने इंदौर छोड़कर मुझे पूरे प्रदेश के विकास की जवाबदारी दी है. ये मामला खूब गर्माया था. और इस घटनाक्रम के बाद कभी दोस्त रहे शिवराज और कैलाश विजयवर्गीय की दोस्ती में उभरी सियासी रंजिश के तौर पर देखा गया था.
आखिर बंद कमरे में बात क्या हुई
खैर, उसके बाद कैलाश राष्ट्रीय राजनीति का रुख कर गए. और शिवराज अंगद के पांव की तरह मध्यप्रदेश में जम गए. लेकिन अब लंबे अंतराल के बाद शिवराज और कैलाश विजयवर्गीय की ऐसी आत्मीय तस्वीरें दिखाई दी. और सियासी गलियारों में कैलाश-शिवराज की 18 मिनट की बंद कमरे में मुलाकात के साथ इस बात के चर्चे हैं कि मुलाकात हुई तो क्या बात हुई.