भारत में शिशु मृत्यु दर घटा, प्रति लाख जीवित जन्मों पर 80 रह गई

नई दिल्ली। देश‌ में ‘शून्य टीका’ वाले बच्चों का प्रतिशत वर्ष 2023 के 0.11 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2024 में 0.06 प्रतिशत रह गया है, जिसके कारण शिशु मृत्यु दर प्रति लाख 80 दर्ज की गई है। संयुक्त राष्ट्र अंतर-एजेंसी समूह की बाल मृत्यु दर अनुमान रिपोर्ट 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की शिशु मृत्यु दर प्रति लाख जीवित जन्मों पर 80 है, जो वर्ष 1990 के बाद से 48 प्रतिशत की वैश्विक कमी की तुलना में 86 प्रतिशत की गिरावट है।

भारत में शिशु मृत्यु अनुपात वर्ष 2014-16 में 130 प्रति लाख रहा था। इसके अलावा भारत ने पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 78 प्रतिशत की गिरावट हासिल की है, जो वैश्विक 61 प्रतिशत की कमी को पार कर गई है और नवजात मृत्यु दर में 70 प्रतिशत की गिरावट आई है। वर्ष 1990-2023 के दौरान वैश्विक स्तर पर यह 54 प्रतिशत है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शनिवार को यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम वर्तमान में 12 टीके-निवारक रोगों को शामिल करता है और इसमें महत्वपूर्ण विस्तार हुआ है।’शून्य टीका कार्यान्वयन योजना 2024′ को 11 राज्यों के 143 जिलों में लागू किया गया है जहां टीकाकरण से वंचित बच्चों की संख्या अधिक है। मिशन इंद्रधनुष में 5.46 करोड़ बच्चों और1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का टीकाकरण वैश्विक औसत से आगे है। सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में प्रति वर्ष 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.6 करोड़ शिशुओं (0-1 वर्ष) को निःशुल्क टीकाकरण किया जाता है। देश में शून्य टीका वाले बच्चों के बोझ को और कम करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। दस्त, निमोनिया, मेनिनजाइटिस और एन्सेफलाइटिस के कारण बच्चों में मृत्यु दर और रुग्णता को कम करने में जीवनरक्षक टीकों का प्रभाव देखा जा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 78 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि जो वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 61 प्रतिशत है। नवजात मृत्यु दर में 70 प्रतिशत की कमी आई है। वर्तमान में, भारत के टीकाकरण अभियान में 12 वैक्सीन-‘रोकथाम योग्य बीमारियां’ शामिल हैं।