CBI रेड के बाद रावतपुरा मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द होने की आशंका, ‘जीरो ईयर’ तय

CBI के छापे में मान्यता के लिए लेनदेन की पुष्टि होने के बाद नवा रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार मेडिकल का नया सत्र जीरो ईयर हो सकता है। जीरो ईयर का मतलब है कि इस सत्र में एडमिशन नहीं होगा। जिन छात्रों का पिछले साल प्रवेश हुआ है, वे नियमित पढ़ाई करते रहेंगे। यही नहीं, यूजी-पीजी सीटों की वृद्धि भी नहीं की जाएगी। चूंकि कॉलेज पिछले साल ही शुरू हुआ है, इसलिए वहां पीजी की कोई भी सीट नहीं है। दरअसल हम ये इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि एनएमसी ने बुधवार को जारी एक पत्र में मई में हुए बेंगलूरु के एक केस का उदाहरण दिया है। एसेसर को भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है।

एनएमसी की टीम 30 जून को पहुंची कॉलेज

रावतपुरा सरकार कॉलेज पिछले साल ही शुरू हुआ है। उन्होंने एनएमसी को एमबीबीएस की 150 सीटों को बढ़ाकर 250 करने के लिए आवेदन किया था। इसी का निरीक्षण करने के लिए एनएमसी की टीम 30 जून को कॉलेज पहुंची थी। बताया जाता है कि सीबीआई की टीम 10 से 15 दिनों पहले रेकी कर रही थी और कॉलेज के निरीक्षण पर पूरी नजर थी।

3 डॉक्टर गिरफ्तार

निरीक्षण दल में 4 डॉक्टर आने की बात कही जा रही है, लेकिन 3 डॉक्टर गिरफ्तार हुए हैं और बाकी तीन कॉलेज के डायरेक्टर व अन्य स्टाफ है। सीबीआई की रेड के बाद बाकी निजी मेडिकल कॉलेजों के कान भी खड़े हो गए हैं। 

25 कैमरों से निगरानी

एनएमसी कॉलेजों में 25 कैमरों के माध्यम से ऑनलाइन निगरानी करती है। सूत्रों के मुताबिक एनएमसी कॉलेज पर सालभर से नजर रखी हुई थी। कैमरों में कैप्चर फैकल्टी व कॉलेज द्वारा भेजी गई जानकारी में असमानता रही। यही नहीं मरीजों की संया पर भी गफलत की स्थिति है। दरअसल कैमरे वहां लगाए जाते हैं, जहां मरीजों व फैकल्टी की सीधी पहुंच हो। जैसे बॉयोमीट्रिक अटेंडेंस मशीन के पास (अब एप से ऑनलाइन) ओपीडी, इनडोर, पोस्ट ऑफ वार्ड, ओटी के बाहर, इंट्रेंस गेट, रेडियोलॉजी के अलावा विभिन्न विभागों में कैमरे लगाए गए हैं।

एनएमसी ने कहा- मान्यता में पूरी पारदर्शिता

प्रदेश में हुई घटना का असर दिल्ली स्थित एनएमसी मुयालय में हुआ है। एनएमसी ने एक सर्कुलर जारी कर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि मेडिकल कॉलेजों की मान्यता व निरीक्षण में पूरी पारदर्शिता बरती जाती है। एनएमसी किसी भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करती और विभिन्न दंड प्रावधानों के अनुसार कॉलेजों व एसेसर के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। जैसे आर्थिक जुर्माना लगाना, उस शैक्षणिक वर्ष अथवा इतने वर्षों के लिए किसी नई योजना के लिए आवेदन पर कार्रवाई पर रोक लगाई जाती है। यही नहीं सीटों की संख्या कम करना, आगामी सेशन में एक या अधिक कोर्स पर प्रवेश से रोक लगाना शामिल है। एसेसर को ब्लैक लिस्टेड करने के साथ मेडिकल काउंसिल में कार्रवाई की अनुशंसा की जाती है।