पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष बने समिक भट्टाचार्य, संगठन को फिर से खड़ा करने की बड़ी चुनौती

कोलकाता: पश्चिम बंगाल भाजपा ने संगठनात्मक बदलाव करते हुए राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। उनका चयन ऐसे समय पर हुआ है जब पार्टी राज्य में लगातार चुनावी असफलताओं का सामना कर रही है। 2021 विधानसभा चुनाव की हार, 2023 पंचायत चुनाव और 2024 लोकसभा में कमजोर प्रदर्शन के बाद अब सबकी निगाहें भट्टाचार्य की रणनीतिक क्षमताओं पर टिकी हैं।

RSS से राज्यसभा तक का सफर

समिक भट्टाचार्य का राजनीतिक जीवन 1970 के दशक में हावड़ा के मंदिरतला में आरएसएस शाखा से शुरू हुआ। वे ABVP और BJYM के जरिए संगठन में सक्रिय रहे और भाजपा के भीतर तीन दशकों तक विभिन्न पदों पर कार्य किया। वे महासचिव, उपाध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता जैसे पदों पर रह चुके हैं।

राजनीतिक अनुभव

2014 में उन्होंने बसीरहाट दक्षिण विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया था। यह जीत भाजपा की बंगाल में गठबंधन के बिना पहली बड़ी सफलता मानी गई। हालांकि, 2016 में वे चुनाव हार गए। उन्होंने 2006 में श्यामपुकुर और 2014 में बसीरहाट लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं पाई।

संगठन में मजबूत पकड़

2020 से 2024 तक भट्टाचार्य पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रहे। अप्रैल 2024 में उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया। संसद में वे चुनावी सुधार, संघवाद और आंतरिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर मुखर रहे हैं। पार्टी के भीतर उनका अच्छा तालमेल तथागत रॉय, दिलीप घोष, सुकांत मजूमदार और शुभेंदु अधिकारी जैसे नेताओं के साथ रहा है।

2026 की तैयारी, संगठन का पुनर्गठन

भट्टाचार्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती है – BJP संगठन का पुनर्गठन, आंतरिक मतभेदों को सुलझाना, और 2026 विधानसभा चुनाव के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करना। पार्टी ने उनके संघ निष्ठा, राजनीतिक संतुलन और संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।

शुभेंदु अधिकारी का समर्थन

नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने समिक भट्टाचार्य की नियुक्ति का स्वागत करते हुए कहा, "वे संगठन को एक नई दिशा देने में सक्षम हैं। यह निर्णय समय की मांग है।"