केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत अपना मक्का उत्पादन साल 2047 तक बढ़ाकर दोगुना यानी 8.6 करोड़ टन कर सकता है। अभी भारत में मक्का उत्पादन 4.2 करोड़ टन के करीब है। कृषि मंत्री ने ज्यादा उपज और ज्यादा स्टार्च वाले बीजों के विकास की जरूरत पर बल दिया। फिक्की द्वारा आयोजित 11वें मक्का सम्मेलन में बोलते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि भारत को अनुवांशिक रूप से संशोधित बीजों का इस्तेमाल किए बिना अपनी उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है।
कृषि मंत्री बोले- मक्का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत
गौरतलब है कि भारत अभी दुनिया में मक्का का पांचवा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 'हम अनुवांशिक रूप से संशोधित बीजों का इस्तेमाल नहीं करते हैं, लेकिन इसके बावजूद हम अपनी उत्पादकता बढ़ा सकते हैं। भारत में औसत मक्का उत्पादन 3.7 टन प्रति हेक्टेयर है। वहीं पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में मक्का उत्पादन राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है, लेकिन अभी भी इसे बढ़ाने की जरूरत है।'
कृषि मंत्री ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मक्का की 265 किस्में विकसित की हैं, जिनमें 77 हाइब्रिड और 35 बायो फोर्टिफाइड किस्में हैं, लेकिन अभी और काम किया जाना चाहिए। मक्का में स्टार्च का स्तर बढ़ाने की जरूरत है। अभी ये 65-70 प्रतिशत है, लेकिन इसे बढ़ाकर 72 प्रतिशत किया जाना चाहिए। ताकि मक्का का बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सके। साल 1900 में भारत में मक्का उत्पादन एक करोड़ टन था, जो आज बढ़कर 4 करोड़ से ज्यादा हो चुका है। कृषि मंत्री ने कहा कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों को भी मक्का का उत्पादन बढ़ाना चाहिए, जो अभी मुख्यतः धान की फसल पर ही फोकस करते हैं।
घटिया बीजों और उर्वरकों पर जताई चिंता
चौहान ने कहा कि मक्का की कीमतें, जो 2,400 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम थीं, सरकार के 2025-26 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य के बाद ज्यादा हुई हैं। मंत्री ने घटिया बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की बिक्री पर चिंता व्यक्त की और ऐसे आपूर्तिकर्ताओं और निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नीतिगत रूपरेखा बनाने का आह्वान किया।