45 मिनट में 16 लोग कुत्ते के काटे जाने से घायल—स्थानीय वारदात से बढ़ी निडरता

बड़वानी/खरगोन: बड़वानी जिले के सिलावद और खरगोन जिला मुख्यालय और इसी जिले के बड़वाह में छोटे अंतराल के दौरान कुत्तों द्वारा बच्चों, महिलाओं और पुरुषों पर हमले कर उन्हें घायल करने की खबरें आईं। खरगोन जिला मुख्यालय पर 23 जून को 10 बच्चों समेत 23, 23 जून को ही बड़वाह के बेरफड़ खुर्द में दो बच्चों समेत 9 और 25 जून को को बड़वानी जिले के सिलावद में 16 लोगों को काटने की घटनाएं हुईं थीं।

डरा रहे हैं आंकड़े

खरगोन जिला मुख्यालय पर कुत्तों के झुंड ने, जबकि अन्य दो घटनाओं में एक ही कुत्ते ने कम समय में कई लोगों को काटा था। बड़वानी जिले में अप्रैल से जून तक 1783 और इसी अवधि में खरगोन जिले में 1677 डॉग बाइट केसेस रजिस्टर हुए हैं। बड़वानी जिले में कुत्ते जैसे जंगली जानवरों के काटने की घटनाओं में पिछले डेढ़ माह में 7 लोगों की मौत हो चुकी है। मई माह में राजपुर क्षेत्र के लिंबई ग्राम में कुत्ते जैसे दिखने वाले जानवर ने एक साथ 17 लोगों को काटा था जिसमें से 6 लोग मर गए थे। इनमें से एक मृतक की विसरा रिपोर्ट में रेबीज वायरस होना पाया गया है। हालांकि बाद में वन विभाग ने एक कुएं में मरे हुए सियार को पाया था, जिसके पैर बंधे हुए थे। इसके बाद यह बताया गया कि इसी सियार ने 17 लोगों को काटा था।
  
कलेक्टर ने मीटिंग लेकर दिए वैक्सीनेशन के निर्देश

खरगोन की घटनाओं के बाद जिला कलेक्टर के निर्देश पर कुत्तों को पकड़कर स्टेरलाइजेशन और वैक्सीनेशन की मुहिम आरंभ की गई थी। खरगोन की कलेक्टर भव्या मित्तल ने घटनाओं के चलते समीक्षा बैठक आयोजित कर कुत्तों के असामान्य व्यवहार की स्टडी कर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश भी दिए थे। उधर बड़वानी में भी जिला कलेक्टर गुंचा सनोबर ने राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सम्बंधित विभागों की संयुक्त बैठक आयोजित कर जागरुकता कैंपेन चलाये जाने, अस्पतालों में आवश्यक इंजेक्शन व दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने, शहरी विकास अभिकरण द्वारा कुत्तों के टीकाकरण एवं निगरानी, पालतू कुत्तों के पंजीयन और पशुपालन विभाग को कुत्तों के टीकाकरण व परीक्षण के निर्देश दिए।

क्या कहती है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार स्ट्रीट डॉग्स को केवल पकड़कर उनका स्टेरलाइजेशन और वैक्सीनेशन ही किया जा सकता है। इसके बाद उन्हें सामान्य स्थिति में लाने के बाद उसी लोकेशन पर छोड़ा जाता है। लेकिन वह कुत्ते काटना बंद करेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। गवर्नमेंट वेटरिनरी हॉस्पिटल के हाल ही में रिटायर हुए सीनियर वेटरनरी सर्जन डॉक्टर प्रशांत तिवारी ने बताया कि मेटिंग या ब्रीडिंग पीरियड में कुत्तों में आपसी संघर्ष एक सामान्य घटना है। केनाइन और फलाइन का यह कैरेक्टर है कि वह आपस में लड़ते हैं। हालांकि कुत्तों का मनुष्यों के साथ कनफ्लिक्ट चिंता का विषय है।

क्या है कुत्तों के आक्रामक होने की वजह

उन्होंने बताया कि पेट भर खाना नहीं मिलने और सड़क पर एक्सीडेंट के केसेस बढ़ने के चलते उनके आक्रामक होने की दो वजहें सामने आती है। लेकिन सेक्सुअल डिजायर की पूर्ति न होने के चलते भी कुत्ते आक्रामक होकर कुत्तों अथवा मनुष्यों पर हमला बोलने लगते हैं। उन्होंने बताया कि डोमिनेंट मेल डॉग मेंटिंग करने में सफल हो जाता है लेकिन अन्य कुत्ते अपराध बोध से ग्रसित होकर फ्रस्ट्रेशन महसूस करते हैं। इस फ्रस्ट्रेशन में वह मनुष्यों पर हमला कर खुद से दूर करने की कोशिश करते हैं। इसमें वह महिला, पुरुष और बच्चे प्रत्येक पर हमला कर बैठते हैं।

इसलिए बढ़ रही मनुष्य और कुत्तों में दूरी

उन्होंने बताया कि तीन महत्वपूर्ण फैक्टर है जिसके कारण मनुष्य और कुत्तों में दूरी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि शॉर्ट पीरियड में एक कुत्ते के द्वारा कई मनुष्यों पर हमला करना उसमें रेबीज का लक्षण भी हो सकता है। सामान्य अवस्था में एक कुत्ता कई मनुष्यों पर हमला नहीं बोलता। कुत्तों में रेबीज के दो फार्म होते हैं एक फ्यूरियस फॉर्म और दूसरा डंब फॉर्म। उन्होंने बताया कि फ्यूरियस फॉर्म में कुत्ता एक दिशा में दौड़ते हुए अंधाधुंध रूप से काटता जाता है। जबकि डंब फॉर्म में वह एक स्थान पर बैठा हुआ मर जाता है। यदि कुत्तों का झुंड कुछ लोगों पर हमला बोलता है तो सामान्यतः उनमें रेबीज की बजाय अन्य कारण है। जबकि अकेला कुत्ता अंधाधुंध हमला बोलता है तो उसमें रेबीज होने की संभावना अवश्य होती है। हालांकि यह उचित परीक्षण होने के बाद ही कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि काटने वाले कुत्तों में रैबीज जानने के लिये का लेसमानिआ टेस्ट होता है।

स्ट्रीट डॉग ज्यादा आक्रामक

सीनियर वेटरनरी सर्जन रमेश चंद पांचाल बताते हैं कि पालतू के मुकाबले स्ट्रीट डॉग्स ज्यादा आक्रामक होते हैं। कुत्ते अपने इलाके के अतिक्रमण होने से भी आक्रामक हो जाते हैं। बड़वानी जिले के सिलावद के थाना प्रभारी वीर सिंह चौहान ने बताया कि वहां हुई घटना में एक कुत्ते ने करीब 45 मिनट में ही 16 लोगों को काट लिया था। एक व्यक्ति को काटने के दौरान उसने कुत्ते को पकड़ लिया और पीट पीट कर मार दिया। उन्होंने बताया कि इस बात के ऊपर ध्यान नहीं दिया गया कि उसका विसरा टेस्ट करने के लिए भेजा जाए ताकि वह रेबीज से प्रभावित है या नहीं इसका पता चल सके।

डॉग बाइट में होता है ये ट्रीटमेंट

उधर बड़वानी की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर सुरेखा जमरे और खरगोन जिला अस्पताल के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉक्टर अमर सिंह चौहान ने बताया कि डॉग बाइट में एंटी रैबीज इंजेक्शन तो लगा ही दिया जाता है। इसके साथ-साथ आवश्यकता पड़ने पर इम्यूनोग्लोबिन, एंटीबायोटिक और टिटेनस कंजक्शन भी दिया जाता है। उन्होंने बताया कि काटे जाने वाला कुत्ता कई बार पकड़ में नहीं आता इसलिए उसे रेबीज है या नहीं इसका पता नहीं चल पाता।

2024 में पूरे भारत में आए 22 लाख मामले

भारत में 2024 में कुत्तों के काटने के लगभग 22 लाख मामले सामने आने के साथ, देश को 2030 तक रेबीज मुक्त होने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बड़वानी और खरगोन की स्थिति रेबीज के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए व्यापक रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाती है।