ग्रामीण उद्योग सशक्तिकरण हेतु उद्यमिता व स्वरोजगार पर एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न

 जशपुर। छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने के संकल्प की दिशा में नकबार, जशपुर में वाणिज्य एवं उद्योग विभाग, छत्तीसगढ़ शासन तथा भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (EDII), अहमदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में “उद्यमिता एवं स्वरोजगार पर उन्मुखीकरण” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य युवाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता के प्रति प्रेरित करना तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों से अवगत कराना था। कार्यक्रम में वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव श्री रजत कुमार ने MSME क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने और मेक इन इंडिया पहल को गति देने हेतु राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा युवाओं को प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और विपणन सहयोग उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि वे आत्मनिर्भर उद्यमी बन सकें। भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (EDII) के महानिदेशक डॉ. सुनील शुक्ला ने अपने संदेश में युवाओं से उद्यमिता को एक प्रभावी करियर विकल्प के रूप में अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में युवा केवल रोजगार तलाशने वाले नहीं, बल्कि रोजगार सृजन करने वाले बन सकते हैं। ईडीसी छत्तीसगढ़ टीम के नेतृत्वकर्ता प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार द्विवेदी ने राज्य में MSME विकास और सतत उद्यम सृजन के लिए संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि EDII द्वारा तकनीकी प्रशिक्षण, व्यवसायिक परामर्श और विपणन सहयोग के माध्यम से स्थायी उद्यमिता मॉडल विकसित किए जा रहे हैं। कार्यशाला में कुल 55 प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। सत्रों के दौरान EDII से जुड़े विशेषज्ञों डॉ. संदीप यादव, योगेश पैंकरा एवं रंजन नायक ने व्यवसाय योजना निर्माण, वित्तीय प्रबंधन, ई-मार्केटिंग, जोखिम विश्लेषण तथा नए व्यावसायिक अवसरों पर उपयोगी जानकारी साझा की। प्रतिभागियों को स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग के साथ नवाचार आधारित उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम के समापन पर प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस कार्यशाला से उन्हें उद्यमिता की व्यावहारिक समझ, व्यापार योजना बनाने और विभिन्न शासकीय योजनाओं से जुड़ने का अवसर मिला। यह आयोजन युवाओं में आत्मनिर्भरता, नवाचार और स्वावलंबन की भावना को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध हुआ। इस पहल को “विकसित छत्तीसगढ़” की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।